दिवाली का रोशन दिया
दीपों की लंबी कतार, झिलमिलाता सा रोशन उजाला
मिट्टी का नन्हा दिया, पूरे जोश से हरता सतत अंधेरा।
टिमटिमाते रंग-बिरंगे, बिजली की अनगिनत चमक
ऊँचे मकानों की चोटी को, दमकता रोशन शहर।
मिट्टी का नन्हा दिया, पूरे जोश से हरता सतत अंधेरा।
टिमटिमाते रंग-बिरंगे, बिजली की अनगिनत चमक
ऊँचे मकानों की चोटी को, दमकता रोशन शहर।
दिन में दमकता सूरज, है आज कुछ नई चमक
रात अँधेरी है मगर, उजाला हुआ है पूरा शहर।
पटाखों की आबाज से, हिल उठा मजबूत जिगर
आवाजों में ढूंढता खुशियों का, एक नई सी टीगर।
आतिशबाजी का मजा है, कुछ कर्कश आवाजों में
धुँआ का फुब्बारा उमड़ा हुआ है ऊँचे आसमानों में।
पता नही ये कैसी खुशियाँ, जिसके पीछे है जहाँ
जहर भरी हवा में, जीने की कोशिश है कर रहा।
कहते है सब कब दुनियाँ, समझदार हो रही है
सब पढ़े-लिखे है, ये समझ मे मजबूत हो रही है।
मैं भी सहमत हूँ, इंसान में इंसानियत बढ़ रही है
पड़ोस यदि रोशन नही, उनकी मदद की जा रही है।
हर घर मने दीवाली, हर घर हो खुशहाली का दिया
हर घर हो माँ लक्ष्मी की कृपा, हो हर घर धन वर्षा।
श्याम कोलारे
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