जब काम से लौटा घर मैं
आहत से पहचान जाती है
पापा घर आ गए है
नीचे सीढ़ी तक आती है।
पता नही क्या दिल का रिश्ता
या जुड़ा भावनाओं का किस्सा
प्यार लगती मुझे कभी जब
पानी सामने ले आती है।
चेहरा पढ़ना आता है
मोटी किताबे भले नही
थकान महसूस कर लेती है
अभी हुई वो बड़ी नही।
सिर पर उसका हाथ प्यार से
मरहम का काम करता है
प्यार से गले लगाकर
जीवन का सुख मिलता है।
जिसके घर हो बेटी का तौफा
घर मे समृद्दि आती है
घर मे मानो साक्षात
लक्ष्मी सीधे आती है।
बड़े भाग्य से भाग्यश्री
भव्या स्वरूप में पाई है
इनके रहने से सुनी बगियाँ में
गूँजती किलकारियां आई है।
#श्यामकुमारकोलारे
#shyamkumarkolare
#pushpakolare
0 टिप्पणियाँ
Thanks for reading blog and give comment.