मजबूत इरादे

मजबूत इरादे


 क्यों ठिठुर रहे है बढ़ते पग
क्यो कांप रहे उड़ जाने को
तूफान उठाके सीने में
बढ़ जाओ आसमानों में
पंख है मजबूत तुम्हारे
यकीन रख अपने इरादों में।

जीना है जीने के लिए तो
जीना तुम अब सीख जाओ
चट्टान बताएं अड़ जाने को
पवन की तरह तुम उड़ जाओं
मिट्टी में है अनगिनत जीवन
अंकुर जैसे निकल आओं।

नही बेड़िया रोक सकेगी
इन मजबूत इरादों को
नही बुझेगा नन्हा दीपक
विश्वास भरे फ़ौलादों से
चल आगे को कदम बढ़ाओ
डरना नही तूफानों से।

आश भरे ये नैन कटोरे
थाम रहे अरमानों को
भू से नभ को नाप लो
पंख भरी उड़ानों से
हाथ की रेख बदल दो
मेहनत के दास्तानों से।
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रचनाकार
श्याम कुमार कोलारे
चारगांव प्रहलाद, छिंदवाड़ा
मो. 9893573770

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