जीवन में हावी होता मानसिक तनाव को कम करने हेतु उचित प्रबंधन की आवश्यकता The need for proper management to reduce the mental stress that dominates life.

जीवन में हावी होता मानसिक तनाव को कम करने हेतु उचित प्रबंधन की आवश्यकता The need for proper management to reduce the mental stress that dominates life.

जीवन में हावी होता मानसिक तनाव को कम करने हेतु उचित प्रबंधन की आवश्यकता

हममें से अधिकांश लोग मानसिक चिंता और उदासी के शिकार है और इस समस्या से लगातार हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी अवसाद से जूझ रहा है । वर्ष 2020 के दौरान कोरोना वैश्विक महामारी के कारण यह आवसादों में लगातार बढ़ोतरी का दौर देखा गया था। इस प्रभाव के कारण अर्थव्यवस्था में काफी उतार- चढ़ाव देखा गया था। जैसे नौकरी छूटने का खतरा, व्यवसाय में हानि, पारिवारिक दूरियाँ, एवं सामाजिक एवं आर्थिक कमजोरी अवसाद के मुख्य मुद्दे रहे। इसके एक तीन वर्षों के अंतराल के बाद सभी व्यवस्थाओं में काफी सुधार हुआ है, परन्तु मानसिक अवसाद से काफी लोग अभी भी जूझ रहे है। अवसाद के कई कारण हो सकते है, परन्तु समय रहते हुए इन अवसादों पर रोक नही लगाया गया तो आगे चलकर यह एक काफी बड़े खतरे के रूप में दिखाई देने लग सकते है।

अपने स्वयं के अनुभवों से, हम यह भी जानते हैं कि चिंता और अवसाद की भावनाएँ हमारे कामकाजी जीवन में भी आसानी से आ सकती हैं। कभी-कभी, काम एक ट्रिगर बन सकता है और हमारे मानसिक स्वास्थ्य को ख़राब कर सकता है। ये भावनाएँ इतनी व्यक्तिगत और जटिल होती है कि काम पर बात करना असहज या अलग-थलग महसूस कर सकता है, खासकर जब हम अपने करियर की शुरुआत कर रहे हों। एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में, 82% उत्तरदाताओं ने कहा कि वे काम पर मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करने में सहज महसूस नहीं करते हैं। 

हम अभी ऐसी दुनिया में रहते हैं जो "सकारात्मक" और "नकारात्मक" या "अच्छे" और "बुरे" भावनाओं के बीच हम अक्सर जूझते रहते है; हम अभी भी ऐसी संस्कृति में रहते हैं जो रूढ़ीवादी एवं परम्परागत विचारों को महत्व देती है। हालाँकि ये विचार काफी हद तक परम्परागत होते है, ऐसा नहीं है कि ये सभी विचार हमेशा से गलत या सही होते है परन्तु इसे समय एवं परिस्थिति अनुसार अपडेट करने की आवश्यता है जिससे हमारे मानसिक विचारों में एक नई ऊर्जा का संचार हो सके एवं भावनात्मक स्वास्थ्य को मजबूती प्रदान की जा सके।

अवसाद पर काबू पाने के लिए कुछ कारगर तरीकों पर विचार कर सकते इससे तनाव, अवसाद एवं अपने नकारात्मक विचारो को कम किया जा सकता है –

विचारों को साथिओं से साझाँ करना – यह पहचानना सीखना होगा कि भावनाएं कैसे प्रकट होती हैं, और उन्हें लेबल करने के लिए उपयुक्त भाषा का उपयोग करने से हमें अपने साथियों, सहकर्मियों और दोस्तों के साथ मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर ढंग से संबोधित करने में मदद मिल सकती है। 


नए दोस्त बनाए - मनुष्य के रूप में, हम स्वाभाविक रूप से अपने साथी-दोस्तों के बीच काफी समय बिताते है, हम अपनी ख़ुशी अपने दोस्तों के साथ साझाँ करते है तो हमें अलग से एक नई ख़ुशी मिलती है। हम सभी का दोस्तों का एक निश्चित दायरा होता है । यदि हमारा दायरा हमारे काम, ऑफिस के दोस्तों के इर्दगिर्द ही रहता है तब हम कंही न कंही एक निश्चित दायरे में ही बातचीत या अपना अनुभव साझा करते है। लगभग हम एक-दूसरे से परिचित होते है; हमारी मानसिकता कंही न कहीं एक दूसरे से मेल खाती है। ऐसे समय में हमें हमारे दायरे से बाहर के दोस्तों से हमारे जीवन में चल रही हलचल को साझा करना एवं उनके अनुभवों तथा विचारों के बारे में जाने का एक अच्छा अवसर भी प्राप्त होता है। अतः हमें अपनी गुणवत्ता को बढाने और अपने अवसाद को कम करने के लिए नए दोस्त बनाने पर कार्य करना चाहिए; जिससे आपको अपने अवसादपूर्ण वातावरण को कम  करने में मदद मिलेगी। 



अपने अच्छे एवं नकारात्मक विचारों को व्यक्त करना – यदि आप अपने आप को किसी प्रकार का अवसाद महसूस कर रहे है, तो इसके बारे में आप अपने किसी नजदीकी दोस्त, अपने सहकर्मियों, रिश्तेदारों से अवश्य बात करे अपने मन में आ रहे अच्छे-बुरे विचारों को व्यक्त करना किसी भी प्रकार के अवसाद को कम करने का सबसे सरल एवं कारगार उपाय होता है। अपने विचारों को व्यक्त न करना, अवसाद को बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण बन सकता है।

अवसाद के मूल कारणों को जाने- कई बार देखा गया है कि बहुत से लोग किसी न किसी मानसिक तनाव से ग्रसित होते है, परन्तु उनके दिमाक में कई प्रकार के बुरे विचार घर कर जाते है, परन्तु ऐसा क्यों हो रहा है इस पर विचार न करके क्या हो रहा है पर जाते है। इसलिए तनाव के मूल कारणों को जानकर उसे संतुलन बनाने की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। कई बार समस्या इतनी अधिक गंभीर होती है उसका हल नहीं मिलने से तनाव से ग्रसित होना स्वाभाविक है, परन्तु आपके चिंता या तनाव करने से यह समस्या नहीं सुधरने वाली है; इसलिए मन को शांत कर समस्या का हल खोजने का प्रयास ही आपको तनाव एवं अवसाद से बचा जा सकता है।

अपने लिए पर्याप्त समय देना – हम अपने कामो में इतना उलझ जाते है कि अपने लिए समय निकालना काफी मुश्किल हो जाता है। काम के तनाव में दिन-रात लगे रहने से शारीरिक थकान के साथ-साथ मानसिक थकन भी आ जाता है; इस समय हमारा जीवन इतना उलझ जाता है कि अपने लिए समय ही नही दे पाते है इसलिए अवसाद होना स्वाभाविक है। अपने लिए समय दे अपने, अपने आप को संतुलित रखना आवश्यक है। इससे अपने गुणात्मक कार्यों में वृद्धि होगी।

पर्याप्त नींद लें - रात में अगर आप एक अच्छी नींद नहीं लेते हैं तो दिनभर थका-हारा महसूस करते हैं। अपर्याप्त नींद आपके मूड, मेंटल अवेयरनेस, एनर्जी लेवल और फिजिकल हेल्थ पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। इसलिए अगर आप तनाव से छुटकारा पाना चाहते हैं तो पर्याप्त नींद जरूर लें।

अपने कौशलों की पहचान कर उसे निखारने का काम करना -  अवसाद से उवरने का एक माध्यम हो सकता है कि अपने कौशलों को पहचान करें एवं उनको निखारने के लिए निरंतर प्रयास करें । अपनी रूचि के काम को करना से आपके मन को शांत रहने के लिए ऊर्जा मिलती है ।  

अपनी अहमियत की पहचान करना-  हर व्यक्ति में अपना एक विशेष गुण होता है जिस गुण के कारण यह सभी से हट कर अपनी एक पहचान बनाता है। अपनी अहमियत को समझते हुए अपने आप को महत्वपूर्ण समझना होगा। अपनी कमियों एवं हार को एक सीख के रूप में लेकर आगे सुधारात्मक नजरिया के साथ काम करने के लिए आगे अग्रसर करना आवश्यक होगा।

पर्सनल और प्रोफेसनल कामों को अलग रखना – हम सभी अपने जीवन में किसी न किसी काम या व्यवसाय से जुड़े होते है । काम को काम की भांति करना सही होगा। काम हम हमारे जीवन को सरल बनाने एवं वित्तीय उपलब्धता के लिए करते है। परन्तु काम को ऑफिस एवं घर दोनों जगह एक समान करना अपने जीवन को उलझन में डाल सकता है। अतः अपने पर्सनल और प्रोफेसनल कामों को अलग रखना एक अच्छा प्रबंधन हो सकता है।

जब भी आप किसी कारणवश तनाव में हैं तो उस बारे में शांति से सोचें और समाधान का रास्ता खोजें। तनावपूर्ण स्थितियों को बिगड़ने न दें। घर के सदस्यों को लेकर कोई टेंशन है तो पारिवारिक समस्या-समाधान सेशन को बुलाएं। बातचीत से ही हल निकलेना न कि टेंशन लेने से। अधिकतर देखा गया है कि दूसरों के साथ अपनी समस्या को शेयर करने से समाधान मिल जाता है। इसलिए अपने जीवनसाथी, करीबी दोस्तों और पड़ोसियों से मदद मांगने से न डरें। अगर तनाव और चिंता बनी रहती है, तो अपने डॉक्टर से बात करें।

 

लेखक
श्याम कुमार कोलारे
सामाजिक कार्यकर्त्ता, छिन्दवाड़ा (मध्यप्रदेश)
मोबाइल : 9893573770


 

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