बेटी बहिन माँ संगनी नाना रूप है नारी के
शक्तिस्वरूपा जन्मदात्री, आदि नाम नारी के
जी हाँ वो नारी ही है जो सारे गम सहती है
जीवन दायिनी माता रूप में ये साँसे देती है।
बहिन का प्यार जीवन में, अमोल खजाना है
इस उपहार को हमेशा, आँखों मे सजाना है
बेटी के पग से घर में, खुशियाँ दौड़ी आती है
चेहरा देख बेटी का, हर थकान मिट जाती है।
एक नारी जीवन मे, जीवनसाथी बन आयी है
अर्धांगनी जीवन की, खुशियाँ आपार लायी है
सफलता की हर सीढ़ी को, अपना कंधा देती है
ठोकर गर लगती मुझको, ये दर्द अपना लेती है।
जितनी सफलता पाई मैंने,नारी का है साथ बड़ा
सूरज से मैं रोशन होता, कभी नही मैं कंही अड़ा।
पग-पग में पग मिलाई, हर बोझ को बाटा है
कठिन समय मे भी मैंने, साथ इसका पाया है।
नारी तो जीवन साँचा है, इसने मुझे उकेरा है
इसके बिन कुछ नही, सब माटी का ढेरा है।
जब हाथ है सिर पर माँ का, डर नही किसी का
साथ हो गर जीवनसाथी, हर पल है खुशी का।
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रचनाकार
श्याम कुमार कोलारे
छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश
9893573770
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