मेला नाम सुनकर, मन मे उमंग बढ़ जाता है
ऐसा एक मेला हमारे, गाँव मे लगने वाला है।
माँ से सुना है इस मेला में,मम्मी भी जाने वाली है
मम्मी भी इस मेला में, एक स्टॉल लगाने वाली है।
स्कूल के सामने, पेड़ के नीचे, मेले की तैयारी है
बुनियादी भाषा, संख्यात्मक समझ बताने वाली है।
बैद्धिक शारीरिक दक्षता के, खेल खेलें जाएँगे
सामाजिक भावनात्मक, समझ पूछें जाएँगे।
इस मेला में नही, कोई फुल्की मिलने वाली
न कोई झूला, न कोई पैसा, न कोई खरीदारी है।
यहाँ जरूर दुकानें होगी, क्रेता होगें विक्रेता होगें
उमंग के इस मेले में, माताओं संग बच्चें होंगे।
माताएं आपने ग्रुप संग, स्कूल परिसर आएगी
पढ़ाई का गुर सीखकर, घर मे भी अपनाएगी ।
इस स्टॉल में माता मुझको मेरी समझ बतलायेगी
भाषा, जोड़ घटना बौद्धिक विकास दिखलाएगी।
इसमें खिलौनें, पत्ती फूल कुछ कंकड़ पत्थर होंगे
घर के समान से पढ़ाई का , कुछ मंथन होंगें।
हम सभी को बच्चों को, FLN मेले में आना है
सीखने के कुछ नए तरीक़े, सीखकर जाना है।
स्वरचित
श्याम कुमार कोलारे
प्रथम, मध्यप्रदेश
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