रिमझिम बारिश। Rimjhim Barish

रिमझिम बारिश। Rimjhim Barish

 रिमझिम बारिश

रिमझिम बारिश की बूंदें, 
जब जमी पर आती है
अंगड़ाई लेती है धरती
सुन्दर कपोल सजाती है।

भीषण गर्मी की तपिश से
मौसम में ठंडक लाती है
नन्ही-नन्ही बूंदे जब पड़ती
धरा को खुश कर जाती है।

पत्ते-पत्ते झूम उठे अब
बारिश बरसाती अमृत जल
ताल-तलैया नदी-नालों की
प्यास बुझाता रिमझिम जल।

हलधर का अब चेहरा खिलता
निकल पड़े सब खेत ले हल
बैलों की भी चहल बढ़ी है
निकल पड़े रख कंधों पर हल।

रिमझिम बारिश बड़ी सुहानी
करता भीगने का उसमे मन
चहु ओर जल जलाजला हुआ
छमछम करता कूदने का मन।

याद आये बचपन के दिन 
कागज की नाव चलाते थे
रिमझिम पानी मे हम सब
जान-बूझकर खूब नहाते थे।

रिमझीम बारिश ऐसी सुहावन
खिल उठा सबका मन
इसकी बूंदों से ठंडक आयी
नृत्य करे सब वन उपवन।


रचनाकार
श्याम कुमार कोलारे
छिन्दवाड़ा, मध्यप्रदेश
9883573770

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