माँ
जीवन की शुरुआत है माँ
साँसों का अहसास है माँ
जीवन का विश्वास है माँ
जुबान का पहला शब्द है माँ
आशाओं की परिकाष्ठा है माँ
ईश्वर जैसी पहली आस्था है माँ।
माँ तुझमें छिपा, जीवन का सार
माँ तेरे बिन नही, मेरा कोई संसार
आकाश के तारे गिनने की
गर कोशिश भी कर सकता हूँ
माँ के उपकार, है अनगिनत
गिनने की कोशिश न कर सकता हूँ।
तेरी छबि मुझमे है माँ
उपकार बड़े है तेरे माँ
माँ का हाथ सिर सदा रहे
हर पथ को जीत पाऊँगा
माँ तेरे दूध का कर्ज,
कभी उतार नही पाऊँगा।
तेरे आँचल का प्यार
माँ मुझे मिलता तेरा दुलार
तुझें याद है माँ बालपन में
मैं अनायास रोता था
तेरे सीने से चिपककर
मैं अक्सर सोता था।
तेरी प्यार भरी थपकी माँ
मुझे आज भी याद है
मैं कुछ भी गलती कर दूं
अक्सर करती माफ है।
माँ दुनियाँ में तेरे जैसा
न होगा कोई दूजा।
रचनाकार
श्याम कुमार कोलारे
चारगांव प्रहलाद, छिंदवाड़ा(म.प्र.)
मो. 9893573770
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