बेटी

बेटी


घर आँगन की किलकारी, पेड़ की नन्ही डाली
मुख मुस्कान ऐसी है मानो, सजे चेहरे पर बाली।

नन्हे-नन्हे कदम है इसके , नन्ही सी मुस्कान
घर मे खुशियाँ लेकर आई, झूम उठा जहान।

माँ बाबा की लाडली है, दादा-दादी की प्यारी
इसकी तोतली बाते भी, लगे मनोहर न्यारी।

बेटी के आने से जैसे, घर आँगन महकाया
इसकी मधुर मुस्कान से, सबका मन हर्षाया।

जन्म हुआ बेटी का जब, आई खुशियाँ की बहार
इसके आने से जैसे, महक उठा सारा परिवार।

घर की रौनक तुम, तुमसे ही है खुशियाँ सारी
तुम ये बगिया को महकाओ, ये आरजू है हमारी।
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श्याम कुमार कोलारे

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