जाने महिलाओं के प्रति अपराधों से संबंधित कानून
महिलाओं के प्रति अपराधों से संबंधित कानून की धाराएं –
महिलाओं पर होने वाले
उत्पीड़न व शोषण के रोकथाम हेतु भारतीय दण्ड संहिता में महिलाओं के प्रति घटित
होने वाले निम्नलिखित अपराधों के लिए सजा का प्रावधान है: -
- धारा 304 (ख) दहेज मृत्यु।
- धारा 306 आत्महत्या के लिये दुष्प्रेरण।
- धारा 313 स्त्री की सहमति के बिना गर्भपात करना।
- धारा 323 मारपीट करना।
- धारा 326 (ख) एसिड एटैक।
- धारा 354 महिला की लज्जा भंग करने के प्रयोजन से उस पर प्रहार या अपराधिक बल का प्रयोग करना।
- धारा 354(क) लैंगिक उत्पीड़न।
- धारा 354 (ख) विवस्त्र करने के आशय से स्त्री पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग।
- धारा 354 (ग) दृश्यरतिकता।
- धारा 354 (घ) पीछा करना।
- धारा 363 अपहरण।
- धारा 366 विवाह आदि के
करने को विवश करने के लिए किसी स्त्री को व्यपहृत करना, अपहृत करना या उत्प्रेरित करना।
- धारा 370 मानव तस्करी।
- धारा 372 वेश्यावृत्ति आदि के लिए नाबालिग लड़की को बेचने की सजा।
- धारा 373 वेश्यावृत्ति आदि के लिए नाबालिग लड़की को खरीदना।
- धारा 376 बलात्कार। धारा 494-495 द्विविवाह संबंधित।
- धारा 498 (क) महिला पर पति या पति के रिश्तेदार द्वारा किये गये अत्याचार।
- धारा 509 स्त्री की लज्जा का अनादर करना।
दहेज
प्रतिषेध अधिनियम 1961:-
दहेज लेना/देना/मांगना/दहेज के लिए दुष्प्रेरित करना कानूनी अपराध है।
सजा- 5 वर्ष का करावास व 15 हजार रूपये जुर्माना। यदि दहेज की रकम 15 हजार रूपये से अधिक है तो जुर्माना दहेज की रकम के बराबर
क्या करना है- दहेज लेन-देन की जानकारी होने पर तत्काल नजदीक के पुलिस थाना या महिला एवं बाल विकास विभाग को सूचित करें।
बालविवाहप्रतिषेध
अधिनियम 2006:-
बाल विवाह
"शून्य"होता है।
विवाह की उम्र लड़के की
21 वर्ष और लड़की की उम्र 18 वर्ष
सजा –
बाल विवाह करवाता है/करता है/सहायता करता है/शामिल होता है तो 2 वर्ष का कारावास
अथवा एक लाख रूपये तक का जुर्माना या दोनों।
क्या
करना है - बाल विवाह की जानकारी होने पर तत्काल नजदीक के
पुलिस थाना या महिला एवं बाल विकास विभाग को सूचित करें।
घरेलु
हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005:-
यदि कोई पुरूष अपने
परिवार या उनके साथ रहने वाली किसी महिला को शारीरिक, मौखिक, लैंगिक, भावनात्मक या आर्थिक
रूप से दुर्व्यवहार करता है तो यह घरेलू हिंसा है।
क्या
करना है - किसी महिला के साथ ऐसी घटना होती है तो वह
तत्काल महिला एवं बाल विकास विभाग के संरक्षण अधिकारी (घरेलू हिंसा) के पास आवेदन
दे सकती है या पुलिस थाना को सूचित करें।
गर्भधारण
पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंगचयन प्रतिषेध)अधिनियम 1994:-
प्रसव पूर्व गर्भस्थ
शिशु के लिंग की पहचान करना/कराना दण्डनीय अपराध है।
सजा- महिला/पति/नातेदार
द्वारा लिंग परिक्षण के प्रथम अपराध के लिए तीन वर्ष का कठोर कारावास एवं 50 हजार
रूपये जुर्माना एवं डॉक्टर को प्रथम अपराध पर 3 वर्ष का कठोर कारावास एवं 10 हजार
रूपये का जुर्माना पश्चात वर्ती अपराध पर महिला/पति/नातेदार को 5 वर्ष का कठोर
कारावास एवं 1 लाख रूपये का जुर्माना डॉक्टर को पुनरावृति पर 5 वर्ष का कठोर
कारावास 50 हजार रूपये का जुर्माना।
क्या
करना है- महिला/पति/नातेदार द्वारा लिंग परिक्षण की
जानकारी होने पर तत्काल नजदीक के पुलिस थाना को सूचित करें।
18
वर्ष से कम उम्र के बच्चों बालक - बालिका को लैंगिक दुर्व्यवहार एवं शोषण से
संरक्षण प्रदान करने के लिए लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012:-
14 नवम्बर 2012 से लागू किया गया है लैंगिक दुर्व्यवहार एवं शोषण से संरक्षण अधिनियम में 18 वर्ष से कम उम्र के बालक/बालिकाओं से लैंगिक दुर्व्यवहार करने वाले व्यक्ति के लिये आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।
क्या करना है- लैंगिक दुर्व्यवहार की जानकारी होने पर तत्काल नजदीक के पुलिस थाना को सूचित करें।
कार्यस्थल पर महिलाओं कालैगिक उत्पीडन(निवारण प्रतिषेध और प्रतितोष)अधिनियम 2013:-
कार्यस्थल पर महिलाओं
के लैंगिक उत्पीड़न के विरूद्ध संरक्षण और लैंगिक उत्पीड़न की शिकायतों के निवारण
के लिए यह कानून दिनांक 09.12.2013 से लागू किया गया है।
क्या
करना है - पीड़ित महिला अपने कार्यालय/कार्य स्थल पर गठित
आंतरिक शिकायत समिति/ जिला स्तर पर गठित स्थानीय शिकायत समिति में शिकायत कर सकती
है।
सखी वन स्टॉप सेन्टर
महिलाओं
को एकीकृत रूप से सहायता उपलब्ध कराने के लिए भारत शासन, महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्रालय द्वारा राज्य सरकार की सहायता से
प्रदेश के प्रत्येक जिले में वन स्टॉप सेंटर संचालन की स्वीकृति दी गई है। वन
स्टॉप सेंटर में सभी वर्ग की महिलाओं (18 वर्ष से कम उम्र की बालिकाएं भी सम्मिलित
है) को सलाह, सहायता मार्गदर्शन एवं संरक्षण प्रदाय किया
जाता है। पीड़ित महिलाओं/बालिकाओं को आवश्यतानुसार चिकित्सा, विधिक सहायता, मनोवैज्ञानिक सलाह, मनोचिकित्सा, परामर्श सुविधा एक ही छत के नीचे
उपलब्ध कराया जाता है, जैसे – आपातकालीन सहायता एवं बचाव, चिकित्सकीय
सहायता, महिला को एफआईआर /डीआईआर/एनसीआर दर्ज करने में सहायता उपलब्ध कराना, मनोवैज्ञानिक/सामाजिक/परामर्श,
सलाह व सहायता, विधिक सलाह/सहायता/विधिक परामर्श, आपातकालीन आश्रय
सुविधा, विडियों कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा आदि।
महिलाओं/बालिकाओं
की सुरक्षा संबंधी –
महिलाऐं/बालिकाएं अपने
ऊपर घटित अपराध की रिपोर्ट पुलिस में तत्काल करें।
संकोच, भय या समाज में अपमान के डर से रिपोर्ट नहीं करने से अपराधी के हौसले बढ़
सकते है और वह पुनः अपराध घटित कर सकता है। अतः रिपोर्ट करने में कदाचित संकोच न
करें।
कार्य स्थल पर यौन शोषण
अपराध है। संस्था सरकारी हो या निजी, कार्यालय
प्रमुख को तत्काल इसकी सूचना देकर शिकायत समिति से जाँच करायें।
शिक्षित होकर
आत्मनिर्भर बनना सुरक्षा का पहला पड़ाव है, अतः इसे अवश्य
पूरा करें।
अपराधों को सहन करने के बजाय अपराधियों को दण्डित करने के लिए जागरूक हो।अपने विधिक अधिकार जाने। समाज में समानता एवं प्रतिष्ठा के साथ रहना आपका मौलिक अधिकार है।
पीड़ित
क्षतिपूर्ति योजना-
इस योजना का लाभ लेने के लिए पीड़ित व्यक्ति अथवा उसके आश्रितों या किसी भी व्यक्ति द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को आवेदन पत्र प्रस्तुत किया जा सकता है। महिलाओं को स्वास्थ्य हेतु कीमती इलाज की नहीं बल्कि सही जानकारी, समय पर इलाज और स्वयं के स्वास्थ्य के प्रति सजगरहना आवश्यक है। जैसे:
- पोषणः- सही समय में, हल्का, सुपाच्य, पौष्टिक भोजन लें। आसपास फ्लने वाले/ऑर्गेनिक फल सब्जियों, अलग-अलग अनाज और दालों, अण्डा आदि भोजन पौष्टिक होते है। पलब्धतानुसार दूध, दही, मांसाहार को भोजन में शामिल करें।
- स्वस्च्छताः-साफपानी, भोजन लें।व्यक्तिगत सफई पर ध्यान दें।मासिक के समय पेडया साफ धोकर धूप में सुखाए सूती कपड़े का उपयोग कर सकते है। जननांगों से सफेद पानी, खुजली, जलन दर्द होने पर जल्दी डॉक्टरी सलाह लें।
स्वास्थ्यः
- कम उम्र से शारीरिक
संबंध या अधिक व्यक्ति से शारीरिक संबंध, कम उम्र में
प्रेगनेन्सी, बार बार गर्भपात और मासिक के समय सफाई न रखना
शरीर को दुष्प्रभाव कर सकता है। गर्भ निरोध, दो बच्चों के
उम्र में अंतर आदि के बारे में नर्स या डॉक्टर से सही जानकारी लें,
- और बिना लापरवाही के उसका पालन करें। कॉपरटी या महिला/पुरूष नसबंदी इंजेक्शन और गोली इसके अच्छे उपाय हैं।
- गर्भवती महिलाओं व बच्चों का स्वास्थ्य विभाग के समन्वय से टीकाकरण अवश्य कराया जाये।
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