हेलमेट सिर्फ सिर पर नहीं, बल्कि आपके जीवन की सुरक्षा ढाल है
सड़क सुरक्षा केवल एक नियम या औपचारिकता नहीं, बल्कि जीवन से जुड़ा एक गंभीर मुद्दा है। देशभर में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े बताते हैं कि हेलमेट पहनना बाइक सवारों के लिए जीवन और मौत के बीच का अंतर साबित हो सकता है। हाल ही में प्रकाशित आंकड़े और रिपोर्ट इस तथ्य को और भी स्पष्ट करते हैं। भारत में हर साल हजारों लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाते हैं। इन मृतकों में बड़ी संख्या बाइक सवारों की होती है। चिंताजनक बात यह है कि इनमें से अधिकांश मौतें हेलमेट न पहनने के कारण होती हैं। एक अध्ययन के अनुसार, हेलमेट पहनने से दुर्घटना में मौत की संभावना लगभग 40% तक कम की जा सकती है। यह आंकड़ा स्पष्ट करता है कि हेलमेट पहनना केवल कानूनी बाध्यता नहीं, बल्कि एक जीवनरक्षक उपाय है।
मध्य प्रदेश के प्रमुख शहर इंदौर, भोपाल और जबलपुर में पुलिस द्वारा किए गए सर्वे और नियम पालन के प्रयासों से यह साफ हुआ है कि बिना हेलमेट बाइक चलाने वालों की संख्या अभी भी चिंताजनक है। इंदौर–भोपाल (मार्च–अप्रैल 2025): सड़क हादसों में मारे गए बाइक सवारों में से 60% लोग बिना हेलमेट के थे। देशव्यापी आंकड़ा (2024): लगभग 66% बाइक सवारों की मौत हेलमेट न पहनने के कारण हुई राज्य पुलिस मुख्यालय के अनुसार, वर्ष 2022 में 4,869 लोग बिना हेलमेट के दुर्घटनाओं में मारे गए। यह संख्या दर्शाती है कि जागरूकता अभियानों के बावजूद नियम पालन में बड़ी कमी है।
मध्य प्रदेश सरकार ने इंदौर, भोपाल और जबलपुर में हेलमेट को अनिवार्य किया है और पेट्रोल पंप पर बिना हेलमेट पेट्रोल न देने का नियम भी लागू किया गया है। बावजूद इसके, कई लोग लापरवाही बरतते हैं। सड़क सुरक्षा समिति और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के तहत हेलमेट पहनना अनिवार्य है, लेकिन इसे व्यवहार में अपनाने के लिए सामाजिक जिम्मेदारी भी जरूरी है। सड़क दुर्घटनाओं में मौत का ग्राफ पिछले पांच वर्षों में सड़क दुर्घटनाओं से मौतों की संख्या लगातार बढ़ी है — 2020 में 11,141 से बढ़कर 2024 में 14,076 तक पहुँच गई। ये आंकड़े केवल संख्या नहीं, बल्कि हजारों परिवारों के टूटने और सपनों के बिखरने की कहानियां हैं। सड़क सुरक्षा नियमों का पालन और जन-जागरूकता ही इस संकट को रोकने का प्रभावी उपाय है। कई लोग हेलमेट को असुविधाजनक या गर्मी में परेशान करने वाला मानते हैं, जबकि यह एक गंभीर भूल है। दुर्घटना के समय हेलमेट सिर और मस्तिष्क को गंभीर चोट से बचाता है। सिर की चोटें (हेड इंजरी) सड़क हादसों में मौत का सबसे बड़ा कारण होती हैं। हेलमेट इन चोटों की गंभीरता को काफी हद तक कम कर देता है।
सड़क सुरक्षा केवल पुलिस या सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। सरकार को सख्त नियमों के साथ-साथ लगातार जनजागरण अभियान चलाने की आवश्यकता है। स्कूल, कॉलेज और सामुदायिक संस्थाओं में हेलमेट के महत्व पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं। वहीं, समाज के लोगों को भी अपने परिवार और मित्रों को हेलमेट पहनने के लिए प्रेरित करना चाहिए। दुनिया के कई देशों ने हेलमेट नियमों का कड़ाई से पालन करवाकर सड़क हादसों में होने वाली मौतों में भारी कमी की है। उदाहरण के तौर पर, वियतनाम में हेलमेट को अनिवार्य करने और सख्त जुर्माना लागू करने के बाद बाइक सवारों की मौत में लगभग 40% की गिरावट आई। भारत में भी इसी तरह का कठोर और निरंतर पालन आवश्यक है।
सडक पर सुरक्षा हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है। हेलमेट पहनना कोई विकल्प नहीं, बल्कि जीवन बचाने का सबसे सरल और प्रभावी तरीका है। यह न केवल आपको गंभीर चोट से बचाता है, बल्कि आपके परिवार को भी अनमोल हानि से बचाता है। आंकड़े साफ कहते हैं — हेलमेट पहनने से मौत का खतरा आधा हो सकता है, और इसे न पहनने से आपकी जिंदगी पर सीधा खतरा है।अगली बार जब आप बाइक या स्कूटर पर सवार हों, तो याद रखें — हेलमेट सिर्फ सिर पर नहीं, बल्कि आपके जीवन की सुरक्षा ढाल है।
लेखक
श्याम कुमार कोलारे
छिन्दवाड़ा, मध्यप्रदेश
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