हम तो
पहले उनकी हिचकियाँ थे हम तो।आज अज़नबी बन गए है हम तो।
उनके दिलमें कोई और खुदा है
अपनी नज़रों में काफ़िर है हम तो।
चार दीवार रौनके है हमारी और
अपने ही घर में मेहमान है हम तो।
वो तो चले गए अब हम अपने लौट
आनेके इंतजार कर रहे है हम तो।
बची ज़िंदगी को आईने के सामने
बिठा कर मौज से जी रहे है हम तो।
हम अपनी साँसे रोक कर दिलको
आराम देने कि सोच रहे है हम तो।
-----------------------------------
नीक राजपूत
+919898693535
नीक राजपूत
+919898693535
0 टिप्पणियाँ
Thanks for reading blog and give comment.