छाया बंसती रंग
लो आया महीना फागुन का, खिले उठे फूल पलास
मन्द पवन के झौकों से, उपवन बना हुआ है खास
फूल बसंत की खुसबू में, महकाया खेत खलिहान
हलधर हृदय अपार प्रसन्नता,अन्न भरे घर दलहान।
गेहूँ बाली चमक सुनहरी, खलियानों में पड़े भंडार
हलधर की मेहनत ने देखो, फिर से गाया बसंती राग
बसंत ऋतु ने चुपके से, घोली फिजाओं में अपना रंग
हर दिलों में मस्ती छाई, घरती में आई नई उमंग।
बसंती रंग में रंगी हुई है, उपवन बना सुनहरा लाल
पलास तरु ने लाल गजरा से, बांधे जैसे अपने बाल
होली की हुड़दंग टोली, बिखराया रंग लाल गुलाल
हर दिलों में रौनक छाई, हुए रंगीन सबके गाल।
फिर प्रकृति श्रृंगार करे, पपीहा ने राग सुनाया है
कृष्णा ने प्यारी राधा को बसंती रंग लगाया है।
रचनाकार
श्याम कुमार "कोलारे"
छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश
9893573770
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