श्याम | 02.01.2024
छिन्दवाड़ा - ठंड ने दस्तक दे दी है। सर्द हवाएं बहने लगी हैं, ऐसे में जहां हम अपने घरों में हीटर और रजाई का सहारा लेकर सुकून भरी नींद लेते हैं, वहीं लाखों लोग खुले आसमान के नीचे ठिठुरते हुए हर रात बिताने को मजबूर हैं। भारत के कई हिस्सों में सर्दी के कारण जानलेवा हालात पैदा हो जाते हैं, खासकर उन लोगों के लिए जिनके पास ठंड से बचने के लिए न गर्म कपड़े हैं, न कंबल।
आदिवासी क्षेत्रों, जंगलों और सड़कों पर जिंदगी बसर करने वाले लोगों के लिए सर्दी का मौसम किसी चुनौती से कम नहीं। ठंडी रातों में एक कंबल या स्वेटर के बिना जीना उनके लिए बड़ी परेशानी बन जाता है। कई बार इन हालात में छोटे-छोटे बच्चे स्कूल जाना छोड़कर ठंड से बचने की जद्दोजहद में जुट जाते हैं। उनके मासूम चेहरे ठिठुरते हुए ऐसे व्यक्ति की राह देखते रहते है जो उन्हे इस सर्दी में एक स्वेटर दिला सके।
कपड़ा बैंक “सेवा सहयोग संगठन” ने हर साल की तरह इस बार भी “सेवा बने स्वाभाव” के तहत जन सहयोग से पहल शुरू की है। इस पहल का मकसद है उन जरूरतमंदों तक गर्म कपड़े, स्वेटर और कंबल पहुंचाना है, जिन्हें ठंड से सुरक्षा के लिए सबसे ज्यादा जरूरत है। कपड़ा बैंक की राष्ट्रीय अध्यक्ष हेमलता महेश भावरकर के विशेष निर्देशन में लगातार स्वेटर, गर्म कपड़े व अन्य जरूरत के समान वितरित किये जा रहे है, इसी क्रम में कपड़ा बैंक चौरई की महिला विंग द्वारा वार्ड-1 चौरई में स्वेटर, पर्स बेग अन्य जरूरत के कपड़े वितरित किये गए । कपड़ा बैंक चौरई की महिला विंग अध्यक्ष स्वाति श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष दीपा राय, सचिव कमलेश धेनुसेवक, संगठन प्रभारी सोनम शर्मा, सलाहकार समिति की वरिष्ठ सदस्य उमा सोनी, विशेष सदस्या बिंदु ठाकुर, संगीता खंडेलवाल, रजनी शर्मा ने विशेष सहयोग प्रदान किया।
“सेवा बने स्वाभाव” के अंतर्गत स्थानीय जन सहयोग से लोगो की मदद के किये स्वेटर या कंबल के लिए दान स्वरूप जमा कर किसी के लिए ठंड से बचाव का सबसे बड़ा साधन बनाता है। यह न केवल मासूम बच्चों और बुजुर्गों को इस ठंड में गर्मी देगा, बल्कि उनके जीवन को भी सुरक्षित करेगा। इसके लिए शहर में अनेक स्थान पर कपड़ा कलेक्शन सेंटर बनाये गए है जिसमे आकर लोग कपडे जमा करते है, और जरूरतमंद लोगो का सहारा बनते है।
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