सर्द हुई सारी पुरवाई

सर्द हुई सारी पुरवाई

 

आज ये कोहरा ऐसा छाया,
पास का भी नजर न आया
ढक डाली का चादर ऐसी
दिखती सबकी धुंधली काया

सर्द हुई है सारी धरती 
सर्द हुआ ये ऊँचा आसमां
ठुठुरन ऐसी बढ़ती पवन में
सर्द हुई सारी पुरवाई

बच्चे बूढ़े और जबान
चाहे हो ऊँचा आसमान
सब ठंड से ठूठुर रहे है
सर्द हवा से बच रहे है

आग लगी है जैसे धारा में
कही से जैसे धुआ हुआ हैं
आज ये कोहरा ऐसा छाया
पास का भी नजर न आया।


रचनाकार
श्याम कुमार कोलारे
छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश 
9893573770

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