एक सरल पहचान

एक सरल पहचान


अभी-अभी कमाई है ईज्जत भरी जिंदगी
                    इसके पीछे वर्षों की ईमानदारी लगाई है
                     कड़ी धूप ने, जलाना चाहा सूरत मेरी
                      पर सीरत ये गर्मी छू ही नहि पाई है।

बड़ा सीधा स्वभाव में जीता रहा यहाँ
सबमे एक सरल पहचान बनाई है
मीठा रहा सभी में, शायद यही खूबी है
सभी अपना बनाकर रखते है।

सबके काम आना है फिदरत मेरी
हर समय दूसरो के आम आता हूँ
कभी-कभी तो अनायास ही सताया जाता हूँ
अपनी हर साँस अपने कर्तव्य में लगाता हूँ।


खूब नापा हूँ सड़को की दूरियाँ इन पावों से
तब कुछ सफलता की मंजिल पाया हूँ।
बस अब सुकून से जीना चाहता हूँ
अपने कुछ अरमानों पाना चाहता हूँ।


श्याम कोलारे


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