बाल दिवस विशेष- //नन्ही किलकारी//
सुन बच्चों की मधुर किलकारी
मन मे हर्षोल्लास भर जाता है
नन्हे-नन्हे कदम थाप से
जैसे घर-आँगन महकता है।
बच्चों की तुतलाती बोली
मन आनंदित कर जाती है
बाल लीलाओं का नटखट पन
निश्छल प्रेम जताती है।
हँसी ठिठोली मीठी बोली से
माँ-बाबा को टेर लगाते है
भाव विभोर होकर दादी को
दौड़कर गले लगाते है।
बच्चें घर की बगिया जैसे
सुन्दर सुगंधित फूलों सा दिल
इस बगिया की सुंदरता को
बच्चे चार चांद लगाते है।
हँसी इनकी मिश्रीसी लगती
जब रूप भव्या सा लगता है
बच्चे पुष्प पंकज से है
श्याम मधुर मन हर्षाता है।
बाल रूप में मोहनी सूरत
मन की हर थकान मिटातीहै
इनकी उपस्थित जीवन में
सुखद अनुभव लाती है।
रचनाकार
श्याम कुमार कोलारे
चारगांव प्रहलाद, छिंदवाड़ा (मध्यप्रदेश)
मो. 9893573770
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