रौनक भरी निगाहें

रौनक भरी निगाहें


बहुत दिनों में खिला कमल है
चेहरे में रौनक आई है
इस सुनी बगिया में आज
फिर से रौनक छाई है।

इस खुशबू से महक उठा है
जीवन सारा बाग हुआ
इस खिला हुआ चेहरा देख
ये किस्सा यू आम हुआ।

राज ये कैसा छिपा हुआ है
छिपा हुआ हैं कोई राज
देखों कैसी चमक आई है
सुर्ख हो गए है इसके गाल।

चढ़ा बसन्त का पानी इसपर
खिला बसंत है अब की बार
प्रेम रंग में बरसे बदली
भूमि से मिलने आया आसमान।


©®कुमार श्यामकोलारे

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