सख्शियत हमारी ऊँची हैं
इसलिए लोग हमें तजब्बू देते है
वरना लोग तो ऊँचे आसमान में भी
कमियाँ खोज लेते है।
जिंदगी की राहें बड़ी टेढ़ी है
आसानी से यहाँ कुछ नही मिलता
संघर्ष ही जीवन है यहाँ
इम्तिहान बिना परिणाम नही मिलता।
मैंने अपने लिए खुद, रास्ता बनाया हूँ
जिसमे खुद चलता हूँ अक्सर अकेले
असफलताओं में तो महारत हासिल है
ऐसा नही कि जीत को, गले नही लगाया हूँ।
एक मुकम्मल मुकाम की खोज में
ताउम्र सफर किये जा रहा हूँ
पता नही मंजिल, और कितनी दूर है
बस बिना रुके पीछा किये जा रहा हूँ।
पैरो को लगा रखा है, पीछे मंजिल के
बस हर कदम पर, सीखते जा रहा हूँ
कुछ सफेद से बाल हो गए है, हालातो से
कुछ जीवन के, अनुभव से कर डाला हूँ।
रचनाकार
श्याम कुमार कोलारे
चारगांव प्रहलाद, छिन्दवाड़ा(म.प्र.)
मो. 9893573770
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