आओ चले कुछ वक्त,
साथ बिताते है
कुछ लम्हे सुख-दुख के,
हम अपनाते है
एक समय था जब,
घंटो बाते करते थे
हँसी ठिठोली के पल,
खूब बिताया करते थे
आओ हँसी-मजाक में,
तुम्हे सताते है
आओ चले कुछ वक्त,
साथ बिताते हैं।
आओ उन हसीन पलों को,
फिर दुहराते है
हाथों में हाथ डाल,
कुछ पल थम जाते है
कभी बेपनाह प्यार,
अनायास जताया करते थे
कभी खुद रूठकर,
तुन्हें मनाया करते थे
आओ ऐसा प्यार आज,
हम फिर जताते है
आओ चले कुछ वक्त,
साथ बिताते हैं।
आओ पुराने पलो को,
फिर खींच कर लाते है
जो तुन्हें अच्छा लगे,
ऐसा कुछ कर जाते है
पता है! नींद में भी तुम्हारा,
नाम लिया करते थे
जागते हुए भी बस,
तुम्हारी आंहे भरते थे
आओ फिर वही सुंदर सपने,
आज सजाते है
आओ चले कुछ वक्त,
साथ बिताते हैं।
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रचनाकार
श्याम कुमार कोलारे
चारगांव प्रहलाद, छिंदवाड़ा (म.प्र.)
मो. 9893573770
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