महिला सशक्तिकरण के बिना सशक्त समाज की कल्पना अधूरी
आज भारत जहाँ बड़े से बड़े आयामों को पाने में सफल हुआ है, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, तकनीकी क्षेत्र हो या आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक सभी क्षेत्रों में आज हम उन्नत एवं सक्षम हो पाए है, इन सभी मे महिलाओं का एक सराहनीय योगदान रहा है। जब से महिलाओं ने परिवार के साथ-साथ बाहर में कदम रखा है तब से देश को उन्नत एवं समृद्ध बनाने को कोई कसर नही छोड़ा है। महिलाओं ने पुरुषों के कंधे से कंधे मिला देश को विकसित करने सहयोग किया है। एक सामान्य मजदूरी से लेकर देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति तक का मुकाम हासिल कर देश के लिए अपना योगदान निभा रही है महिलाएँ। आज महिलाओं कुशल शिक्षक बन का बच्चों के भविष्य संवारने की जिम्मेदारी का निर्वहन कर रही है वहीं घर मे बच्चों की देशभाल से लेकर पूरा का केन्द्र बनी रहती है, सुबह से लेकर रात्रि तक उनके जिम्मे का हर एक कार्य करने में पीछे नही हटती है। महिलाएं जितनी सक्षम होगी उतनी ही कुशलता से वह परिवार के साथ-साथ देश विकास में सहयोग दे सकती है।
हर घर की एक महत्वपूर्ण कड़ी होती है महिला, घर मे यह दादी, माँ, बहन, पत्नी, बेटी या हमारे घर के काम में सहयोग करने वाली सेविका ही क्यों न हो घर की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाती है महिला। अब वह समय नहि रहा जब महिला चारदिवारी में ही रखकर अपना जीवन गुजार देती थी, समय एवं परिस्थितियों के अनुसार महिलाओं ने अपने आपको सावित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। आज महिलाओं का आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक आदि क्षेत्रों में सराहनीय योगदान रहा है। शिक्षा क्षेत्र में महिलाओं की पकड़ एक अतुलनीय उदाहरण है। स्कूलों में महिला शिक्षक के योगदान से शिक्षा में एक क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिलता है ।
महिलाओं में जन्मजात नेतृत्व गुण समाज के लिए संपत्ति हैं। प्रसिद्ध अमेरिकी धार्मिक नेता ब्रिघम यंग ने ठीक ही कहा है कि जब आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं, तो आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं। जब आप एक महिला को शिक्षित करते हैं तो आप एक पीढ़ी को शिक्षित करते हैं। हर साल सरकार द्वारा महिला सशक्तीकरण के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाई ना रही है, महिलाओं के नए अवशर एवं अपनी प्रतिभा को उभारने का प्रयास किया जा रहा है। बीते कुछ सालों में सरकार द्वारा अनगिनत योजनाएँ चलाई गयी है जो महिलाओं को सामाजिक बेड़ियाँ तोड़ने में मदद कर रही है तथा साथ ही साथ उन्हें आगे बढ़ने में प्रेरित कर रही है। दिन प्रतिदिन लड़कियां ऐसे ऐसे कीर्तिमान बना रही है जिस पर न सिर्फ परिवार या समाज को बल्कि पूरा देश गर्व महसूस कर रहा है। सरकार ने पुराने वक़्त के प्रचलनों को बंद करने के साथ साथ उन पर क़ानूनन रोक लगा दी है। जिनमें मुख्य थे बाल विवाह, भ्रूण हत्या, दहेज़ प्रथा, बाल मजदूरी, घरेलू हिंसा आदि। इन सभी को क़ानूनी रूप से प्रतिबंध लगाने के बाद समाज में महिलाओं की स्थिति में काफी सुधार आया है। महिला अपनी पूरी जिंदगी अलग अलग रिश्तों में खुद को बाँधकर दूसरों की भलाई के लिए काम करती है।
हमारे समाज में महिला अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक एक अहम किरदार निभाती है। अपनी सभी भूमिकाओं में निपुणता दर्शाने के बावजूद आज के आधुनिक युग में महिला पुरुष से पीछे खड़ी दिखाई देती है। पुरुष प्रधान समाज में महिला की योग्यता को आदमी से कम देखा जाता है। सरकार द्वारा जागरूकता फ़ैलाने वाले कई कार्यक्रम चलाने के बावजूद महिला की जिंदगी पुरुष की जिंदगी के मुक़ाबले काफी जटिल हो गयी है। महिला को अपनी जिंदगी का ख्याल तो रखना ही पड़ता है साथ में पूरे परिवार का ध्यान भी रखना पड़ता है। वह पूरी जिंदगी बेटी, बहन, पत्नी, माँ, सास, और दादी जैसे रिश्तों को ईमानदारी से निभाती है। इन सभी रिश्तों को निभाने के बाद भी वह पूरी शक्ति से नौकरी करती है ताकि अपना, परिवार का, और देश का भविष्य उज्जवल बना सके।
मानव कल्याण की भावना, कर्तव्य, सर्जनशीलता एवं ममता को सर्वोपरि मानते हुए महिलाओं ने इस जगत में मां के रूप में अपनी सर्वोपरि भूमिका को निभाते हुए राष्ट्र-निर्माण और विकास में अपने विशेष दायित्वों का निर्वहन किया है। महिलाएं बच्चों को जन्म देकर उनका पालन-पोषण करते हुए उनमें संस्कार एवं सद्गुणों का उच्चतम विकास करती हैं तथा राष्ट्र के प्रति उनकी जिम्मेदारी को सुनिश्चित करती हैं, ताकि राष्ट्र-निर्माण और विकास निर्बाध गति से होता रहे। महिलाओं के हाथ को और मजबूत करने की आवश्यकता है, जिससे वह अपना पूरा दायित्व समाज और देश विकास में लगा सके, उन्हे हर नए क्षेत्र में मौका दिया जाने की जरूरत है जिससे वह अपनी रचनात्मक शक्ति से विकास का चिरपरिवर्तन लाने की भूमिका निभा सके।
लेखक_ श्याम कुमार कोलारे
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