महाशिवरात्रि का मेला, मंदिर में लगा है ताता
शिवशक्ति में सब चूर, शक्ति के रंग में अभिभूत
कोई बेलपत्र से रिझाये, कोई भंग झतुरा चढ़ाए
करे दुग्ध माखन का अर्पण,भक्ति से शीश झुकाये।
भक्तिमय हुआ नगर अब,भक्ति में सब धूम मचाये
बम-बम भोले की धुन में, नर-नारी भक्ति में गाये
मंदिरों की डेहरी चमकी, भक्तो की लंबी कतार
भोलेनाथ के दर्शन से, मिट जाए कष्टो के भार।
सरल मन से पूजा अर्चन, शुद्ध मन से सेवा अर्पण
भोलेबाबा जीवन आधारा, जीवन में है मेरा दर्पण
सुख कामना करते हम सब, अर्ज करे हे भूतेश्वर
सब पर कृपा करते रहना, हे जगत के परमेश्वर ।
मंदिर जब भीड़ मची थी, दर बाहर एक दुःखहारी
आस लगाए शिव भक्तों से , नजर पड़े इस लाचारी
भूख से पीड़ित तड़प रही थी, छुब्धा मिटादो भंडारी
नजरअंदाज सब करे, मन में सभी के भोले त्रिपुरारी
दुग्ध भोले को चढ़ाया, नाना प्रकार के थे पकवान
जगदीश्वर के चरण अर्पित,दुःखहारी आस लगाए
एक भिखारी दर के अंदर, दूजा बाहर टेर लगाए
अंदर का करे धन से सेवा, बाहर का करे मनसे।
भक्ति का मर्म है जो दुःखी, असहायों के काम आए
भोले की भक्ति का फल, सर्वप्रथम ऐसा भक्त पाए
भक्ति हो मन से , अहंकार लोभ दम्भ ईश चढ़ाएं
शिव भक्ति का मीठा फल, ये भक्त नित्य ही पाए।
(स्वलिखित, मौलिक एवं अप्रकाशित रचना)
लेखक
श्याम कुमार कोलारे
छिन्दवाड़ा (मध्यप्रदेश)
मोबाइल 9893573770
1 टिप्पणियाँ
Very good poem of true pray.
जवाब देंहटाएंThanks for reading blog and give comment.