बाबा साहब जब लंदन से बार एट ला की डिग्री लेकर मुंबई कोर्ट में बैठने लगे तो उस समय बाबा साहब के पास कोई भी मुकदमा नहीं था क्योंकी उस समय जातिवाद चरम पर था। लोंगो की धारणा थी कि डॉक्टर अम्बेडकर को आता ही क्या होगा।
उसी समय की बात है जब कोर्ट द्वारा एक बहुत बड़े सेठ छग्गन के बेटे गोविंदा को कोर्ट द्वारा फांसी की सजा सुना दी गयी। वह सेठ अपने बेटे गोविंदा की सजा को कैंसिल कराने के लिए उस समय के नामी गिरामी वकीलों के पास गया।लेकिन उन सभी का एक ही जबाब था कि इस केस मे अब अपील की कोई गुंजाइश नहीं है तुम्हारे बेटे को सजा से नही बचाया जा सकता।
कुछ वकीलों के समूह ने बाबा साहब का उपहास करने के लिए छग्गन सेठ को यह कहते हुए बाबा साहब के पास भेजा की डॉक्टर अम्बेडकर लंदन से बार एट ला की डिग्री लेकर आये है शायद वो तुम्हारे बेटे को बचा ले।
तब छग्गन सेठ बाबा साहब के पास गया और सारी बातों से बाबा साहब को अवगत कराया।
बाबा साहब ने केस को पढ़कर सेठ से कहा कि इस केस में तुम्हारे बेटे को बचाने का कोई रास्ता नहीं बचा है।यह सुन करके सेठ मिन्नतें करने लगा। बाबा साहब ने भी सोचा की चलो अपील करतें है कम से कम पहला केस तो मिला।बाबा साहब ने सेठ से कहा कि मैं तुम्हारे बेटे को सजा से बचा लूंगा लेकिन मुझे गोलमेज मिटिंग हेतू लंदन जाना है क्योंकि सायमन का मुझे बुलावा है।क्या तुम तुम मेरे वजन के बराबर सिक्के दोगे।बाबा साहब का उस समय वजन मात्र 37 किलो था।सेठ हामी भर लिया और बाबा साहब ने फिर से सजा के विरुद्ध अपील करी जब ये बाते अन्य वकीलों को मालूम हुई तो उन्होंने यह कह करके बाबा साहब का मजाक उड़ाया की चलो उनको कोई तो केस मिली जिससे वो कुछ दिन अपना काम चला लेंगे।
जिस दिन केस की सुनवाई थी उस दी कोर्ट में बाबा साहब के अपोजिशन में 13 वकीलों का ग्रुप था और कोर्ट में भारी भीड़ थी,लोंगो में भारी उत्सुकता थी कि बाबा साहब पैरवी कैसे करते है।
बाबा साहब ने अपोजिशन के वकीलों को देखकर जज से कहा कि जज साहब अपोजिशन के सारे वकील (जो कि सारे विदेशी थे) मेरे जूनियर है और मैंने इन सबको पढ़ाया है, क्या ये मुझसे बहस करेंगे।
यह सुनकर के जज ने कहा कि मिस्टर अम्बेडकर ,प्राइमरी के अध्यापक द्वारा पढ़ाया छात्र उससे भी बड़ा बन जाता है इसका मतलब ये नही होता कि वह अपने गुरु से भी ज्यादा महान न हो।
फिर जज ने कहा कि मिस्टर अम्बेडकर आप बहस कीजिये।बाबा साहब ने बोला कि महोदय सरकारी वकीलों से कहिये की वो पहले बहस करें मुझे अपने बहस के लिए सिर्फ 3 मिनट्स का समय चाहिए।
यह बात सुन करके वकीलों के साथ साथ अन्य लोग भी हसने लगे कि बाबा साहब के पास इस केस में बचा ही क्या है चलो कम से कम कुछ दिन तो अपना खर्चा चलाये।
अपोजिशन के वकीलों के बहस के बाद बाबा साहब ने जज से कहा कि जज साहब मेरे मुवक्किल को आप फांसी दे दीजिए लेकिन उसकी मौत नही होनी चाहिए।
क्योंकि आपने अपने सजा के फेसले में केवल HANG लिखा है, आपने HANG TILL DEATH नहीं लिखा है।*
ये बातें सुनकर के विदेशी जज महोदय के होश उड़ गए और मजबूर होकर छग्गन सेठ के बेटे गोविंदा को सजा से बरी करना पड़ा,और so called यानी कि तथाकथित बुद्धजीवी वकीलों का मुंह हमेशा के लिए बाबा साहब ने बंद कर दिया।
कोर्ट में बाबा साहब के जय जयकार के नारे गूँजने लगे।
छग्गन सेठ ने भी अपना वादा निभाया और खुशी के मारे बाबा साहब को दो बार सिक्के से तौला।
इसी लिए बाबा साहब को GOD OF LAW यानी कि कानून का पैगम्बर कहा जाता है।
इसी लिए समस्त भाई बहनों से निवेदन है कि एक टाइम भले ही उपवास करना पड़े लेकिन आप अपने बच्चों को शिक्षा जरूर दिलवाइये।
शिक्षित करो , संगठित करो.. संघर्ष करो..
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