माँ को समर्पित रचना
माँ, ओ माँ ! तुम हो तो जीवन है
माँ, ओ माँ ! तुम हो तो जीवन है सांसे है
माँ मेरे जीवन का तुम ही हो एक आधार
इसके बिना सांसे मेरी, जीवन है पर निराधार
मेरे आने से भी पहले, कितना कष्ट दिया होगा
त्याग-करुणा मेरे लिए, क्या-क्या किया होगा
सब सहन कर हमेश, खिला रहता है तेरा चेहरा l
मेरा अंश आया जब से, जियी है मेरे लिए
रातो की नींद दिन का चैन, खोई है मेरे लिए
लगी तनिक भी चोट मुझे, तकलीफ तुझे हुई
मेरे चैन के खातिर, कई बार जख्मी हुई
छोटी से आहात मेरी, तुझे पता चल जाता
मन में क्या है मेरे,, झट समझ आ जाता l
सहस्त्रों कष्ट सहे है माँ ने, मेरे सुख के खातिर
न जाने कब कब सहेगी, हम नहीं है बाकिफ
कोटि उपकार मुझपर, जीवन कम पड़ जायेगा
इस जन्म में तो क्या, कई जन्म लग जायेगा
तेतीस कोटि देवी देवता, माँ के आगे फीके
जीवन बड़ा अनमोल आनद, माँ से ही सीखे l
माँ के चरण सब तीर्थ, बाहर क्या है जाना
माँ की चरण धूल से, पावन कर्म हो जाता
माँ की महिमा वेद-पुराना, धर्मशास्त्र सब गाये
घर मंदिर है माँ मूरत है पूजा यंही हो जाये
जिस घर माँ की सेवा, अन्यपूर्णा लक्ष्मी वासा
श्याम मरोरथ पूर्ण करें माँ, रंहूँ में माँ का दासा l
लेखक / रचनाकार
श्याम कुमार कोलारे
चारगांव प्रहलाद, छिन्दवाड़ा
मोबाइल : 9893573770
2 टिप्पणियाँ
बहुत ही खुब सर।
जवाब देंहटाएंBahut shandar sir
जवाब देंहटाएंThanks for reading blog and give comment.