माँ एक शब्द नहीं, शक्ति है,
जीवन की अनुपम भक्ति है।
माँ हमारे जन्मों का पुण्य है
देवों जैसी जीवन मे वरदान है।
जीवन की अनुपम भक्ति है।
माँ हमारे जन्मों का पुण्य है
देवों जैसी जीवन मे वरदान है।
जीवन की पथदर्शिका है,
ममता की वो सरिता है।
सागर सी जिसमें गहराई है,
स्नेह सुधा की अमिट छाई है।
मेरे आने की जब घड़ी थी,
पहली खुशी वहीं खड़ी थी
उसने ही धड़कन में मेरी,
जीवन की लय सजाई थी।
तेरी साँसों से साँस मिली,
तेरी ममता से आस मिली।
लहू जो मेरी रग-रग में,
वो तुझसे ही तो आई है।
तुझसे वाणी का वर पाया,
तुझसे ही सुंदर तन पाया।
माँ! तेरे उपकार बड़े हैं,
कह ना सकूं, वो अनगिनत हैं।
फिर भी कोशिश करता हूँ,
तेरी मुस्कान सजा सकूं।
तेरे उपकार का ऋणी हूँ मां
कैसे तेरा उपकार चुका सकू।
रचनाकार:
श्याम कुमार कोलारे
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