पापा उस घर करना शादी
जहां आपको सम्मान मिले
जहाँ सूरत से सीरत से
लोगो को पहचाना जाता हो
उस घर सबका एकसा सम्मान हो।
कभी आपको आये मेरी याद
बेहिचक मुझसे मिलने आओ
आपसे मिलने में न कोई पर्दा हो
जी भरकर बात करने की
सबसे जहाँ आजादी हो।
पापा उस घर करना गौना
जहाँ चिड़ियों का दाना हो
गाय के लिए ताजी रोटी हो
जहाँ तोता न लटका हो पिंजरे पर
जहाँ स्वान बंधा न दरवाजे पर।
पापा भले हो घर मिट्टी का
भले दरवाजे छोटे हो
जहाँ मेहमानों के आने पर
त्यौहार जैसी रौनक हो
साग-रोटी भले खाने को
जहाँ मीठी सी बोली हो।
पापा ऐसे घर मे करना शादी
पापा जहाँ मुझ से ज्यादा
आपकी सम्मान हो
कभी पीहर से आया बेर-आमला
सब खाये बड़े प्यार से।
पापा ऐसे घर देना गौना
जहाँ बार-बार पीहर की
तुलना न की जाए ससुराल से
पहनावा हो सादा सच्चा
जहाँ कोई दिखाबा न हो।
पापा ऐसे घर करना शादी
जहाँ सब कोई हो अपना सा
जहाँ चुगली द्वेष क्लेश अहंकार नही
जहाँ प्रेम स्वर की कोयल हो
जहाँ स्वच्छंद फुदगती गौरैया हो।
-श्याम कुमार कोलारे
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