मंद-मंद हवा के संग,
घुल रहा बसंती रंग
पलास में आई रौनक,
भँवरे झूमते टेसू संग।
पवन में कुछ ठंडक है,
कुछ गर्मी अभी आई है
अपने फूलों से झुकी है,
सुगंधित हुई अमराई है।
बसंत की मदहोश फिजाएं,
होश उड़ाने वाली है
ज्यों आये फागुन महीना,
रंगों से भरने वाली है।
फ़ागुन तो ऐसा है सजता
मयूर सा मतवाला है
रंगों की चादर ओढ़े ऐ
सबको रिझाने वाला है।
आसमान के श्याम रंग से
धरती आज सुहानी है
लो बसंत का मौसम आया
फिजाएं हँसने वाली है।
श्याम राग ऐसा बसंत का
सतरंग धूम मचाता है
साजन संग सजनी के रंग
और निखारने वाला है।
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रचनाकार
श्याम कुमार कोलारे
छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश
मो. 9883573770
श्याम कुमार कोलारे
छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश
मो. 9883573770
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