दिवास्वप्नों का मूल वास्तविक अनुभव हो, तो वे मिथ्या नहीं जाते । यह दिवास्वप्न मेरे जीवंत अनुभवों में से उपजा है, और मुझे विश्वास है कि प्राणवान, क्रियावान, निष्ठावान शिक्षक अपने लिए भी इसे वास्तविक स्वरूप प्रदान कर सकेंगे ।
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