संतुलन Equilibrium

संतुलन Equilibrium


संतुलन कोई भी हो, जीवन का हो या 

डमरू के ताल का, सुख का हो या दुख का

हर्ष का या गम का, दुख में ऑंखें नम का

सर्दी में आग गर्मी में बरसात, हमे ही लाना पड़ता है, 

हर साज संगीतमय है, थाप हमे ही लगाना पड़ता है।


हवाओं में भी राग है, सुर है इसमें ताल है

खोखली बाँसुरी में फूक, हमे ही लगाना पड़ता है

न हो उदास ये जीवन है, कभी जीत कभी हार है

मंजिल की आस में चलना सबको पड़ता है

कदम तो हमारे है, संतुलन में बनाना पड़ता है।


शंकर की डमरू या हो कृष्ण का सुदर्शन

अर्जुन का गांडीव, या वज्र हो इंद्र का 

जिससे बने जो काम, उसी को करना पड़ता है।

संतुलन हर चीज का है, गरीबी का या अमीरी का

जिसकी जैसी शक्ति, वजन उतना ही उठाना पडता है।


श्याम

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