ये जो सीढ़ी है, सनक की
मेहनत की, लगन की
मन के उमड़ते जुनून की
सच ये कामयाबी के
शिखर तक ले जाती है
मंजिल चाहे दूर हो
लक्ष्य तक पहुँचाती।
ये जो सीढ़ी है,हिम्मत की
स्वाभिमान की, सम्मान की
मन मे उठते तूफानों की
सच ये सफलता के
करीब ले जाती है
राहे चाहे कठिन हो
जीत तक पहुँचाती है।
ये जो सीढ़ी है, उन्नति की
विकास की,सुखद अहसास की
सोच और बदलाव की
सच ये हमारे सपनो के
करीब ले जाती है
कल्पना में ही सही
जीत का स्पर्श कराती है।
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रचनाकार
श्याम कुमार कोलारे
चारगांव प्रहलाद, छिंदवाड़ा(म.प्र.)
मो. 9893573770
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