विरह वेदना separation pain

विरह वेदना separation pain

 विरह वेदना


तुमसे दूर रहकर मैं बड़ा बैचेन रहता हूँ,
तेरे ख्वाब देखते हुए हर रात सोता हूँ।
तेरी पाजे की घुँघरू मुझे परेशान करती है
बरबस सुनाई देती है तुम्हे याद करती है।

दूरियाँ बनी बैरन मिलने को दिल मचलता है
सुखी धरती से मिलने बादल ज्यो तड़पता है।
मुझको पता है प्रिय तुम भी उदास रहती हो
विरह के ग़म को तुम वहाँ अकेली सहती हो।

खुशी चेहरे पर रहती है, पर दिल ये रोता है
सीने में तड़प ऐसी की मुझको याद करता है।
चिंता न करना प्यारी, मैं जल्द आऊँगा
सुंदर यादों की खुशियां मैं साथ लाऊँगा।

पाजे की झनक और चूड़ियों की खनक
तेरे वास्ते मैं फिर वही मधुर संगीत लाऊँगा।
जो काटे है वख्त तूने अकेले याद करता हूँ
तुमसे दूर रहकर मैं बड़ा बैचेन रहता हूँ।
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रचनाकार
श्याम कुमार कोलारे
छिन्दवाड़ा, मध्यप्रदेश
मो. 9893573770

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