कविता तुम्हे सुनाती हूं ।
लोगों के दिलों दिमागो की ,
बाते तुम्हे बताती हूं।।
नवरात्रि की बेला में ,
घर घर दीप जलाते है ।
गांव गांव नगर मोहल्ले में ,
मां की प्रतिमा बिठाते है ।।
करते उपवास नर और नारी,
मैया को रहे मनाते है।
नवमी या दशमी तिथि को,
नदी में मां को सिराते है ।।
घर घर जाकर नौ कन्याको,
अपने घर बुलाते है।
पूजन करते तिलक लगाते,
कन्या के चरण धुलाते है ।।
किसी किसी को नौ कन्या,
जब नही मिल पाती है।
जितनी मिले उनकी पूजाकर,
व्रत को सफल बनाते है ।।
कन्याओं की पूजा कर,
नवरात्रि सफल बनाते है।
फिर नित्य प्रतिदिन कन्या को ,
कोख में क्यों मरवाते है।।
–---------------
लेखक ओमप्रकाश भावरकर
0 टिप्पणियाँ
Thanks for reading blog and give comment.