मेरी पारिवारिक भूमिका/ family responsibilities

मेरी पारिवारिक भूमिका/ family responsibilities

"बेटा! थोड़ा खाना खाकर जा..!! दो दिन से तूने कुछ खाया नहीं है।" लाचार माता के शब्द हैं, अपने बेटे को समझाने के लिये।


"देख मम्मी! मैंने मेरी बारहवीं बोर्ड की परीक्षा के बाद वैकेशन में सेकेंड हैंड बाइक मांगी थी, और पापा ने प्रोमिस किया था। आज मेरे आखिरी पेपर के बाद दीदी को कह देना कि जैसे ही मैं परीक्षा कक्ष से बाहर आऊंगा तब पैसा लेकर बाहर खड़ी रहे। मेरे दोस्त की पुरानी बाइक आज ही मुझे लेनी है। और हाँ, यदि दीदी वहाँ पैसे लेकर नहीं आयी तो मैं घर वापस नहीं आऊंगा।"


एक गरीब घर में बेटे मोहन की ज़िद और मां की लाचारी, आमने-सामने टकरा रही थी।


"बेटा! तेरे पापा तुझे बाइक लेकर देने ही वाले थे, लेकिन पिछले महीने हुए एक्सिडेंट...


मम्मी कुछ बोले उसके पहले मोहन बोला- "मैं कुछ नहीं जानता.. मुझे तो बाइक चाहिये ही चाहिये..!!"


ऐसा बोलकर मोहन अपनी मम्मी को गरीबी एवं लाचारी के मझधार में छोड़ कर घर से बाहर निकल गया।


12वीं बोर्ड की परीक्षा के बाद 'भागवत सर' एक अनोखी परीक्षा का आयोजन करते थे।

हालांकि भागवत सर का विषय गणित था, किन्तु विद्यार्थियों को जीवन का गणित भी समझाते थे और उनके सभी विद्यार्थी विविधता से भरी ये परीक्षा सभी देने जाते थे। 


इस साल परीक्षा का विषय था

मेरी पारिवारिक भूमिका


मोहन परीक्षा कक्ष में आकर बैठ गया।

उसने मन में गाँठ बाँध ली थी कि यदि मुझे बाइक नहीं लेकर देंगे तो मैं घर नहीं जाऊंगा।


भागवत सर की क्लास में सभी को पेपर वितरित हो गया। पेपर में 10 प्रश्न थे। उत्तर देने के लिये एक घंटे का समय दिया गया था।


मोहन ने पहला प्रश्न पढा और जवाब लिखने की शुरुआत की।


प्रश्न नंबर १ :-  आपके घर में आपके पिताजी, माताजी, बहन, भाई और आप कितने घंटे काम करते हो? सविस्तार बताइये?


मोहन ने तुरंत से जवाब लिखना शुरू कर दिया।


जवाबः

पापा सुबह छह बजे टिफिन के साथ अपनी ऑटोरिक्शा लेकर निकल जाते हैं। और रात को नौ बजे वापस आते हैं। ऐसे में लगभग पंद्रह घंटे।


मम्मी सुबह चार बजे उठकर पापा का टिफिन तैयार कर, बाद में घर का सारा काम करती हैं। दोपहर को सिलाई का काम करती है। और सभी लोगों के सो 

जाने के बाद वह सोती हैं। लगभग रोज के सोलह घंटे।


दीदी सुबह कालेज जाती हैं, शाम को 4 से 8 पार्ट टाइम जोब करती हैं। और रात्रि को मम्मी को काम में मदद करती हैं। लगभग बारह से तेरह घंटे।


मैं, सुबह छह बजे उठता हूँ, और दोपहर स्कूल से आकर खाना खाकर सो जाता हूँ। शाम को अपने दोस्तों के साथ टहलता हूँ। रात्रि को ग्यारह बजे तक पढ़ता हूँ। लगभग दस घंटे।


(इससे मोहन को मन ही मन लगा, कि उनका कामकाज में औसत सबसे कम है।)


पहले सवाल के जवाब के बाद मोहन ने दूसरा प्रश्न पढा ..


प्रश्न नंबर २ :-  आपके घर की मासिक कुल आमदनी कितनी है?


जवाबः

पापा की आमदनी लगभग दस हजार हैं। मम्मी एवं दीदी मिलकर पाँच हजार

जोडते हैं। कुल आमदनी पंद्रह हजार।


प्रश्न नंबर ३ :-  मोबाइल रिचार्ज प्लान, आपकी मनपसंद टीवी पर आ रही तीन सीरियल के नाम, शहर के एक सिनेमा होल का पता और अभी वहाँ चल रही मूवी का नाम बताइये?


सभी प्रश्नों के जवाब आसान होने से फटाफट दो मिनट में लिख दिये..


प्रश्न नंबर ४ :-  एक किलो आलू और भिन्डी के अभी हाल की कीमत क्या है? एक किलो गेहूँ, चावल और तेल की कीमत बताइये? और जहाँ पर घर का गेहूँ पिसाने जाते हो उस आटा चक्की का पता  दीजिये।


मोहनभाई को इस सवाल का जवाब नहीं आया। उसे समझ में आया कि हमारी दैनिक आवश्यक जरुरतों की चीजों के बारे में तो उसे लेशमात्र भी ज्ञान नहीं है। मम्मी जब भी कोई काम बताती थी तो मना कर देता था। आज उसे ज्ञान हुआ कि अनावश्यक चीजें मोबाइल रिचार्ज, मूवी का ज्ञान इतना उपयोगी नहीं है। अपने घर के काम की

जवाबदेही लेने से या तो हाथ बंटा कर साथ देने से हम कतराते रहे हैं।


प्रश्न नंबर ५ :- आप अपने घर में भोजन को लेकर कभी तकरार या गुस्सा करते हो?


जवाबः हां, मुझे आलू के सिवा कोई भी सब्जी पसंद नहीं है। यदि मम्मी और कोई सब्जी बनायें तो, मेरे घर में झगड़ा होता है। कभी मैं बगैर खाना खायें उठ खडा हो जाता हूँ। 

(इतना लिखते ही मोहन को याद आया कि आलू की सब्जी से मम्मी को गैस की तकलीफ होती हैं। पेट में दर्द होता है, अपनी सब्जी में एक बडी चम्मच वो अजवाइन डालकर खाती हैं। एक दिन मैंने गलती से मम्मी की सब्जी खा ली, और फिर मैंने थूक दिया था। और फिर पूछा कि मम्मी तुम ऐसा क्यों खाती हो? तब दीदी ने बताया था कि हमारे घर की स्थिति ऐसी अच्छी नही है कि हम दो सब्जी बनाकर खायें। तुम्हारी जिद के कारण मम्मी बेचारी क्या करे?)

मोहन ने अपनी यादों से बाहर आकर

अगले प्रश्न को पढा


प्रश्न नंबर ६ :- आपने अपने घर में की हुई आखरी ज़िद के बारे में लिखिये ..


मोहन ने जवाब लिखना शुरू किया। मेरी बोर्ड की परीक्षा पूर्ण होने के बाद दूसरे ही दिन बाइक के लिये ज़िद की थी। पापा ने कोई जवाब नही दिया था, मम्मी ने समझाया कि घर में पैसे नही है। लेकिन मैं नहीं माना! मैंने दो दिन से घर में खाना खाना भी छोड़ दिया है। जबतक बाइक नही लेकर देंगे मैं खाना नहीं खाऊंगा। और आज तो मैं वापस घर भी नहीं जाऊंगा कहके निकला

हूँ।

अपनी जिद का प्रामाणिकता से मोहन ने जवाब लिखा।


प्रश्न नंबर ७ :- आपको अपने घर से मिल रही पाकेट मनी का आप क्या करते हो? आपके भाई-बहन कैसे खर्च करते हैं?


जवाब: हर महीने पापा मुझे सौ रुपये देते हैं। उसमें से मैं, मनपसंद परफ्यूम, खाने-पीने, या अपने दोस्तों की छोटी-मोटी पार्टियों में खर्च करता हूँ।


मेरी दीदी को भी पापा सौ रुपये देते हैं। वो खुद कमाती हैं और पगार के पैसे से मम्मी को आर्थिक मदद करती हैं। हाँं,  उसको दिये गये पाकेट मनी को वो गुल्लक में डालकर बचत करती हैं। उसे कोई मौज, शौक नहीं है, क्योंकि वो कंजूस है।


प्रश्न नंबर ८ :- आप अपनी खुद की पारिवारिक भूमिका को समझते हो?

 

प्रश्न अटपटा और जटिल होने के बाद भी मोहन ने जवाब लिखा।

परिवार के साथ जुड़े रहना, एकदूसरे के प्रति समझदारी से व्यवहार करना एवं मददरूप होना चाहिये और ऐसे अपनी जवाबदेही निभानी चाहिये। 

 

यह लिखते लिखते ही अंतरात्मा से आवाज आयी कि अरे मोहन! तुम खुद अपनी पारिवारिक भूमिका को योग्य रूप से निभा रहे हो? और अंतरात्मा से जवाब आया कि ना बिल्कुल नहीं ..!!


प्रश्न नंबर ९ :- आपके परिणाम से 

आपके माता-पिता खुश हैं? क्या वह अच्छे परिणाम के लिये आपसे जिद करते हैं? आपको डांटते रहते हैं?


(इस प्रश्न का जवाब लिखने से पहले हुए मोहन की आँखें भर आयीं। अब वह परिवार के प्रति अपनी भूमिका बराबर समझ चुका था।)

लिखने की शुरुआत की ..


वैसे तो मैं कभी भी मेरे माता-पिता को आजतक संतोषजनक परिणाम नहीं दे पाया हूँ। लेकिन इसके लिये उन्होंने कभी भी जिद नहीं की है। मैंने बहुत बार अच्छे रिजल्ट के प्रोमिस तोड़े हैं।

 फिर भी हल्की सी डाँट के बाद वही प्रेम और वात्सल्य बना रहता था।


प्रश्न नंबर १० :- पारिवारिक जीवन में असरकारक भूमिका निभाने के लिये इस वेकेशन में आप कैसे परिवार को मददगार होंगें?


जवाब में मोहन की कलम चले इससे पहले उनकी आँखों से आँसू बहने लगे, और जवाब लिखने से पहले ही कलम रुक गई .. बेंच के नीचे मुँह रखकर रोने लगा। फिर से कलम उठायी तब भी वो कुछ भी न लिख पाया। अनुत्तर दसवाँ प्रश्न छोड़कर पेपर सबमिट कर दिया।


स्कूल के दरवाजे पर दीदी को देखकर उसकी ओर दौड़ पडा़।


"भैया! ये ले आठ हजार रुपये, मम्मी ने कहा है कि बाइक लेकर ही घर आना।"

दीदी ने मोहन के सामने पैसे रख दिये।


"कहाँ से लायी ये पैसे?" मोहन ने पूछा।


दीदी ने बताया

"मैंने मेरी आँफिस से एक महीने की सैलरी एडवांस मांग ली। मम्मी भी जहाँ काम करती हैं वहीं से उधार ले लिया, और मेरी पाकेट मनी की बचत से निकाल लिये। ऐसा करके तुम्हारी बाइक के पैसे की व्यवस्था हो गई है ।


मोहन की दृष्टि पैसे पर स्थिर हो गई।


दीदी फिर बोली " भाई, तुम मम्मी को बोलकर निकले थे कि पैसे नहीं दोगे तो, मैं घर पर नहीं आऊंगा! अब तुम्हें समझना चाहिये कि तुम्हारी भी घर के प्रति जिम्मेदारी है। मुझे भी बहुत से शौक हैं, लेकिन अपने शौक से अपने परिवार को मैं सबसे ज्यादा महत्व देती हूंँ। तुम हमारे परिवार के सबसे लाडले हो, पापा को पैर की तकलीफ है फिर भी तेरी बाइक के लिये पैसे कमाने और तुम्हें दिये प्रोमिस को पूरा करने अपने फ्रेक्चर वाले पैर होने के बावजूद काम किये जा रहे हैं, तेरी बाइक के लिये। यदि तुम समझ सको तो अच्छा है, कल रात को अपने प्रोमिस को पूरा नही कर सकने के कारण बहुत दुःखी थे। और इसके पीछे उनकी मजबूरी है।

बाकी तुमने तो अनेकों बार अपने बैस्ट रिज़ल्ट के प्रोमिस तोड़े ही हैं?  

मेरे हाथ में पैसे थमाकर दीदी घर की ओर चल निकलीं।


उसी समय उसका दोस्त वहाँ अपनी बाइक लेकर आ गया, अच्छे से चमका कर ले आया था।

"ले .. मोहन आज से ये बाइक तुम्हारी, सब बारह हजार में मांग रहे हैं, मगर ये तुम्हारे लिये आठ हजार ।"


मोहन बाइक की ओर एक टक से  देख रहा था। और थोड़ी देर के बाद बोला

"दोस्त तुम अपनी बाइक उस बारह हजार वाले को ही दे देना! मेरे पास पैसे की व्यवस्था नहीं हो पायी है और होने की अभी संभावना भी नहीं है।"


और वो सीधा भागवत सर के केबिन में जा पहुंचा।


"अरे मोहन! कैसा लिखा है पेपर में?

भागवत सर ने मोहन की ओर देख कर पूछा।


"सर ..!!, यह कोई पेपर नही था, ये तो मेरे जीवन के लिये दिशा-निर्देश था। मैंने एक प्रश्न का जवाब छोड़ दिया है। किन्तु ये जवाब लिखकर नही अपने जीवन की जवाबदेही निभाकर दूँगा और भागवत सर को चरणस्पर्श कर अपने घर की ओर निकल पडा़।


घर पहुँचते ही, मम्मी पापा दीदी सब उसकी राह देखकर खड़े थे।

"बेटा! बाइक कहाँ है ?" मम्मी ने पूछा। मोहन ने दीदी के हाथों में पैसे थमा दिये और कहा कि साॅरी! मुझे बाइक नहीं चाहिये। और पापा मुझे ऑटो की चाबी दीजिए, आज से मैं पूरे वैकेशन तक ऑटो चलाऊंगा और आप थोड़े दिन आराम करेंगे, और मम्मी आज से मेरी पहली कमाई शुरू होगी। इसलिये तुम अपनी पसंद की मेथी की भाजी और बैंगन ले आना, रात को हम सब साथ मिलकर के खाना खायेंगे।

 

मोहन के स्वभाव में आये परिवर्तन को देखकर मम्मी ने उसको गले लगा लिया और कहा कि "बेटा! सुबह जो कहकर तुम गये थे वो बात मैंने तुम्हारे पापा को बतायी थी, और इसलिये वो दुःखी हो गये, काम छोड़ कर वापस घर आ गये। भले ही मुझे पेट में दर्द होता हो लेकिन आज तो मैं तेरी पसंद की ही सब्जी बनाऊंगी।" मोहन ने कहा 

"नही मम्मी! अब मेरी समझ गया है कि मेरे घर-परिवार में मेरी भूमिका क्या है? मैं रात को बैंगन मेथी की सब्जी ही खाऊंगा, परीक्षा में मैंने आखिरी जवाब नहीं लिखा है, वह प्रैक्टिकल करके ही दिखाना है। और हाँ मम्मी हम गेहूँ को पिसवाने कहाँ जाते हैं, उस आटा चक्की का नाम और पता भी मुझे दे दो"और उसी समय भागवत सर ने घर में प्रवेश किया। और बोले "वाह! मोहन जो जवाब तुमने लिखकर नहीं दिये वे प्रेैक्टिकल जीवन जीकर कर दोगे!


"सर! आप और यहाँ?" मोहन भागवत सर को देख कर आश्चर्य चकित हो गया।


"मुझे मिलकर तुम चले गये, उसके बाद मैंने तुम्हारा पेपर पढा इसलिये तुम्हारे घर की ओर निकल पड़ा। मैं बहुत देर से तुम्हारे अंदर आये परिवर्तन को सुन रहा था। मेरी अनोखी परीक्षा सफल रही 

और इस परीक्षा में तुमने पहला स्थान पाया है।" 

ऐसा बोलकर भागवत सर ने मोहन के सर पर हाथ रखा।


मोहन ने तुरंत ही भागवत सर के पैर छूए और ऑटो रिक्शा चलाने के लिये निकल पड़ा....

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