जीवन संगनी

जीवन संगनी


जीवन में संगनी का पग,

बड़ा कमाल कर जाता है

सूने जीवन में जैसे,

बसंत लेकर आता है

चार पगों में दुनिया स्थिर,

तीव्र वेग सह जाता है

जीवन का संसार चक्र,

इन पहियों से बढ़ जाता है l

 

उम्र का एक पड़ाव जब

साथ किसी का भाता है

जीवन का सच्चा सुख

संगिनी के आने से आता है

पग पडते ही घर में इसके

ख़ुशी उमड़कर कर आती है

जीवन का यह पल हमेशा

एक यादगार बन जाती है l

 

सुख-दुख संयोग-वियोग में,

जीवन के हर उतार-चढ़ाव में

संगिनी का संग रहे हमेशा,

हर विपत्ति दूर हो जाती है

मकान को यह घर बनाती

दीवारों में प्यार के चित्र सजाती

अपनी मेहनत से हर घर को

स्वर्ग सा सुन्दर बनाती है l

 

सफलता की परछाई बनकर

हरदम चलती मेरे साथ

चिंता की लकीर माथे पर

पढ़ लेती मेरे जज्बात

सब साथ छोड़ जाए जग में

नहीं किसी से कोई आस

अंत समय तक भी देती

निर्मम निश्चल सबका साथ l

 

हर रूप में पाया तुझको

सारे वचन निभाती है

पुरुष की संगिनी बनकर

जीवन साथ निभाती है

संगिनी नहीं कमजोर बनाती

चट्टान इरादा लाती है

जीवन पथ पर साथ चले तो

नया इतिहास रच जाती है l

 

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श्याम कुमार कोलारे


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