सबसे हटकर मैंने एक
अपना किरदार बनाया है
जिसमे अनुभवों का दरिया
मेहनत का आशियाना
सफलता के सपने सजाया है।
लोग कहते है
बदल से गये जनाब
अब आते नही गली में
ठिठोली के बहाने
अकेले- अकेले रहने लगे है
कोई हमसफर के सहारे।
सबने मेरी अहमियत की
बोली लगाई अपनी हैसियत से
किसी ने कीमती तो
किसी ने कौंड़ी दाम लगाया
पर हम तो अपनी मर्जी के हीरा है।
जब चमकिंगे तो उजाला
दूर तक होगा
किसी को अंधेरे में
में रोशनी
किसी को रात में दिया सा
उजाला तो होगा।
बस आरजू है
सबकी सेवा में तन जाए
मन हमेशा उपकार में लगे
बड़ो की दुआ काम आए
कोई न खाए रूखी रोटी
सभी के हाथों में काम आए।
@श्याम कोलारे

0 टिप्पणियाँ
Thanks for reading blog and give comment.