नन्ही भव्या सोच रही थी, कब आएगी होली,
रंगों से खेलने जब, निकलेगी बच्चों की टोली।
मुझे सबको प्यार से, लाल रंग बरसाना है
दुनियाँ के सारे रंगों से, सबको यूँ सजाना है।
बहुत सारे होंगे रंग, मैं सबको रंग लगाऊँगी
इस प्यार के रंग में, थोड़ा सा रंग जाऊँगी।
मुझे जाना बाल-टोली संग, सबको रंग लगाने
गली-गली में हुरदंग होगा, रंगों की धूम मचाने।
लाल-गुलाल से आँगन,बगियाँ सा खिल जाएगा
विभिन्न प्रकार के रंगों से, हर चेहरा मुस्कायेगा।
रंग-बिरंगे चेहरे होंगे,कुछ उजले कुछ रंगे होंगें
चितरंगी होगी चोली, ऐसी मौज भरी है होली।
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रचना: श्याम कुमार कोलारे
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