मेरा देश-मेरा वतन, Mera desh- Mera vatan

मेरा देश-मेरा वतन, Mera desh- Mera vatan

देश मेरा धर्म है, देश ही मेरी जान
देश से ही मैं हूँ, इससे ही मेरी शान
मेरे देश की माटी, अमृत समान है
इस देश के खातिर, ये तन कुर्वान है।

तिरंगा के रंगों से , रंगा मेरा देश हो
केशरिया सफेद और, हरा सा भेष हो
खुशहाली से सदा, भरा मेरा वतन रहे
भाईचारा के सूत्र में, अमन सदा बहे।

भारत की सरिता में, अमृत सी धारा है
पवन चले है ऐसी, देश प्रेम का नारा है
रंग रूप भेष भाषा, चाहे अनेक हो
एक सबका देश, प्रेम की एक धारा हो।

खून सींचकर लायी, ये मुल्क आजादी है
खुले गगन में आई,  परिंदों की बारी है
पंख खुलकर उड़ते, देखो आकाश में
भारत का नाम फैला, सारे जहान में।

इसकी आन-बान, और शान बानी रहे
इसके खातिर जान, देनी ही हमे पड़ें
मेरे वतन की हवा, ऐसी चलती रहे
हर साँस में सुकून की, गंध घुली रहे।

तिरंगा लहरायेगा, गगन में शान से
जीवन मेरा होगा, वतन के नाम से।
देश मेरा धर्म है, देश ही मेरी जान
देश से ही मैं हूँ, इससे ही मेरी शान।
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लेखक
श्याम कुमार कोलारे
सामाजिक कार्यकर्ता, छिंदवाड़ा (मध्यप्रदेश)


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