बैंगन की बारात!

बैंगन की बारात!

 बैंगन की बारात!
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सपने में बैगन की बारात सज गई । बारात में शिरकत करने के लिए तरह-तरह के बैंगन आए । सभी के सिरपर पगड़ी। हाव भाव रोबदार। मुस्कुराते हुए चेहरे ।

शादी के सपने देख रहे बैंगन का खूबसूरत मूलीबाई से रिश्ता तय हो गया। गोरी नारी पहुंचे खानदान की मूली के नाज नखरे बस देखते ही बनते थे। मूली के लिए रिश्तो की लाइन लगी हुई थी। कद्दू, टमाटर, प्याज ,आलू से लगाकर करेला अदरक तक लंबी फेहरिस्त थी। मूली सब्जी प्रजाति की  इकलौती होनहार खूबसूरत कन्या। सभ्य सुसंस्कृत मूली  पूरे सोलह श्रृंगार के साथ बाजार में नुमाइश के लिए लाई गई ।

पूरे सब्जी मार्केट की आंखें फटी की फटी रह गई। 
गोरी मूली की सुंदरता सब्जी मार्केट का सेंसेक्स तय करते।  मूली के जलवे और डिमांड देखकर मार्केट की बल्ले-बल्ले हो गई। कितने ही छोटे-मोटे वारे न्यारे हो गए। मूली के उदास होते ही मार्केट पर पाला मार जाता। बाजार धड़ाम से उल्टे मुंह जमीन पर लौट जाता । जवान  लौकी उदास बैठी । उसकी तरफ कोई नजर उठाकर भी नहीं देख रहा ।

सौंदर्य स्वामिनी अलबेली मूली ने आखिर काले कलूटे  बदसूरत बैंगन का रिश्ता कैसे कबूल कर लिया। सारी सब्जियों में यह ज्वलंत मुद्दा  जंगल की आग की तरह फैल गया। जितनी सब्जियां उतनी बातें ।करेला अलग से मुंह फुलाकर  बैठा गया।उसकी शिकायत  भी जायज है।  कितने  औषधीय के गुण होने के बाद भी मिस मूली द्वारा उसे रिजेक्ट कर दिया गया। यह बात करेले को हाथ हजम नहीं हो पा रही। करेला मौके की ताक में घात लगाकर बैठ गया। 

सब्जियों के राजा आलू की  मूली ने घोर बेज्जती की। महाभारत की द्रोपती की तरह मुलायम सुंदरी मूली ने आलू को अंधा करार देकर घोर अपमान किया ।बेचारा शर्मिंदा आलू आत्मग्लानि  से धड़क रहा । मारे शर्म के वह सब्जी मार्केट में किसी को मुंह  दिखाने से कतरा रहा ।दुकानदार उसको सबके आगे खड़ा कर देते । राजधानी तक ठीक-ठाक पहुंच रखने वाले कद्दू महाशय भी मुंह फुलाकर बैठे हैं। इतनी भारी-भरकम डीलडोल कुटुंबपाल संपन्नता के बाद भी  सुुुसरी मूूूूली ने कद्दू को भाव नहीं दिए । हीनभाव से ग्रस्त कद्दू अक्सर मंडियों में अकेला जाने से कतराता । मूली की बेवफाई व प्रेम प्रस्ताव ठुकरा दिए जाने के कद्दू महाशय अपने को  घोर अपमानित महसूस करने लगे। बैंगन की तो जैसे लॉटरी लग गई ।अंधे के हाथ बटेर लग गई ।एकदम डरावनी सूरत वाले बदसूरत बैंगन की किस्मत पर किसी को यकीन ही नहीं हो रहा। मूलीबाई की हाँँ वाली  हरकत ने डरावने बैंगन को सब्जियों का राजा बना दिया ।

अपने भाग्य पर इठलाता बैंगन सिरपर साफा बांधकर सात फेरों की तैयारी करने लगा। चारों तरफ मूलीबाई और बैंगन पहलवान की शादी के चर्चे आम हो गए ।जली भूनी सब्जियां शिमला मिर्च की तरह अंदर ही अंदर जलकर लाल  होने लगी ।

सबका समय एक सा नहीं रहता। राईं के भाव रात भर उछलकर गिरने  लगे।  सब्जी मार्केट की जवानी पर  पाले की मार भारी पड़ गई । गोरी नारी मुली सूखकर कांटा हो गई । उसका पीलापन लोगों की तबीयत बिगड़ने लगी। लोगों के हाजमे बिगड़ने लगे। चारों तरफ मुली मारे मारे भटकने लगी।  लोगों का टेस्ट गड़बडा़ने लगा। उसके कद्रदान न जाने कहां छुप गए। पाले की मार से बचाखुचा बैंगन अब एकला चालो रे का बेसुरा राग आलापने लगा। सारी तरकारी नेस्तनाबूद हो गई ।

मोटी चमड़ी का कद्दू सही सलामत रहा।  ईश्वर ने कद्दू के दिन फेर दिए ।कद्दू सब्जियों का सरताज हो गया। मार्केट कद्दू की डिमांड से उछलने लगा। मजबूरी की मारी मूलीबाई ने फिर से कद्दू से विवाह का प्रस्ताव भेज दिया ।आखिरकार कद्दू ने तत्काल हां कर दी ।ख्याली पुलाव पका रही सभी सब्जियों को पंजाबी ढाबे वाले ने काटकर एक कढ़ाई में छोंक दिया। सभी सब्जियों को उसने एक  घाट का पानी पिला दिया। ग्राहकों की डिमांड देखकर उसने मिक्स वेज तड़का लगा ।दूल्हे बैंगन का साफा उतारकर फेंक दिया । बैंगन राजा के सारे बाराती तितर-बितर हो गए ।

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 16 कृष्णा नगर- इंदौर
# रमेश चंद्र शर्मा 

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