कविता-हाँ मैं युवा हूँ

कविता-हाँ मैं युवा हूँ

 

हाँ मैं युवा हूँ, चुस्त सजीला फुर्तीला हूँ
सख्त बांहे, मजबूत भुजाएँ वाला हूँ
बाज के जैसी तेज नजर वाला हूँ
साँसों में हुँकार का जलजला रखता हूँ
ऊँची उड़ान से गगन चीरने वाला हूँ
हाँ मैं युवा हूँ, चुस्त सजीला फुर्तीला हूँ।

कारीगार हूँ, शिल्पकार हूँ, फनकार हूँ
देश के निर्माण का निर्माणकार हूँ
हौसला पहाड़ो का अडिग मेरा 
हिमालय का ऊँचा इरादा
सूर्य सा तेज मैं धूप सा चमकदार हूँ
हाँ मैं युवा हूँ, चुस्त सजीला फुर्तीला हूँ।

कारखानों का पुर्जा मैं हूँ
देश की साँसे मुझसे चलती
मैं वैज्ञानिक, मैं शिक्षक इंजीनियर हूँ
बनू देश का मजबूत स्तम्भ हूँ
देश का मान हूँ मैं इसका सम्मान हूँ
हाँ मैं युवा हूँ, चुस्त सजीला फुर्तीला हूँ।

आसमान के तारों की ठंडक 
चंदा से शीतलता साँसे में भरता हूँ 
सीमा में डटा हूँ तूफानों सा
देश की रक्षा करता हूँ।
राष्ट्र धर्म पर मिटने वाला सिपाही हूँ
हाँ मैं युवा हूँ, चुस्त सजीला फुर्तीला हूँ।



लेखक
श्याम कुमार कोलारे
सामाजिक कार्यकर्ता, छिंदवाड़ा(म.प्र.)
मोबाइल 9893573770

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