तेरी वजह से लिखता था

तेरी वजह से लिखता था

 


तेरी वजह से लिखता था, नए गीत अफ़साने
तेरी वजह से गाता था, उमंग से भरे तराने
देख तेरे माथे की बिंदिया, हाथों की तेरी रोली
फिजाओं में मिश्री घुलती थी, तेरी मीठी बोली।

चहकती थी सर-सर हवाएँ,मन पाती सा डोले
झुमकें की झूम से तेरे,तरंग मन की सब खोले
जब ख्यालों में बस सी जाये, यादों के तराने
तेरी वजह से लिखता था, नए गीत अफ़साने।

प्रेयसी जब तुम मुस्काती,पवन झूमने लगता था
रजनी में शांत कान्ति, चाँद चमकने लगता था
मन मे तेरी शांति ऐसी, चितवन  लगे हरसाने
तेरी वजह से लिखता था, नय गीत अफ़साने।

याद हर पल आये मुझे,सहज खिले मुखड़ा
यादों को सहज रखा है, जैसे दिल का टुकड़ा
मन मेरा उड़ उठता था, दिल लगे मुस्कानें
तेरी वजह से लिखता था, नए गीत अफ़साने।

तेरे वगैर नही कटती है, दिन विरह लंबी राते
निंदिया जैसे बैरन हो गई, पथरा गई है आँखें
फिर से तुम मुड़ के देखो, भूलों जूनि दास्ताने
तेरी वजह से लिखता था, नए गीत अफ़साने।

लेखक
श्याम कुमार कोलारे
छिन्दवाड़ा(म.प्र.)
मोबाइल 9893573770

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