कविता : शुरू हुई फिर पढ़ाई

कविता : शुरू हुई फिर पढ़ाई



पिछली पंक्ति के कोने में
बैठा हुआ एक बच्चा
मन में उमड़ती आशाएं
मन का मानों सच्चा

दो साल गुजर गए
न देखे स्कूल पढ़ाई
सीधे दूसरी में आ गई
पहली की छुटी पढ़ाई

नन्हीं वाला समझ न पाई
घर में तो नहीं हुई पढ़ाई
अक्षर शब्द सब अनजान
अंक संख्या हुए सब बेगाने

मैया मेरी भी सुन लो
जानी मणि एक फरियाद
बहुत दिनों से पढ़ा नहीं है
सब भूले जो था याद

बाल मन का क्या था दोष
कोरोना में मचाया शोर
बीत गए दिल बड़े सुहाने
भूल गए जो याद हमारे
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कवी/ लेखक
श्याम कुमार कोलारे

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