कविता : पैसा की खनक

कविता : पैसा की खनक

पैसा की खनक मानो किस्मत चमक जाती है
पावन खुशबू से इसके फिजायें महक जाती है
धन-वैभव सुख-समृद्धि की ठाव बन जाती है 
मान प्रतिष्ठा के संग जीवन शक्ति में  लाती है।

पैसा जिसके पास उसी के पास पैसा आता है
पैसा मानो चुम्बक है  पैसा खीच कर लाता है
पैसा नही भगवान ये गजब काम कर जाता है
वरदान  खाली न जाये  सारे वचन निभाता है।

दुनिया सारी इसके पीछे,  गोल - गोल घूमाता है
गरीब करे कड़ी मेहनत जब उसके पास आता है
अमीरों का ये आज्ञाकारी  पीछे  ही पड़ जाता है 
सारा वरदान वर्षाये यही बड़ा भक्त बन जाता है।

पैसा की खनक के आगे आसमान झुक जाता है
धरती का बड़ा बादशाह हुक्म सब पर चलता है
रंक को राजा बनादे, राजा  को रंक कर जाता है
पैसा से किस्मत चमके जन्नत धरती पर लाता है।

पैसा के बिन सूखी रोटी गरीबी होती नित्य मोटी
कर में बसता कर से हटता कर से करे कमाल ये
मेहनत में हरदम ये बसता कायरों को धुत्कार ये
पैसा का जो मान करे, हर सपना करे साकार ये। 

लेखक/कवि
श्याम कुमार कोलारे
चारगांव प्रहलाद, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)
मोबाइल : 9893573770

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