पहली
बार बच्चों को मिली,
छुट्टी
इतनी लम्बी
स्कूल
की टेहर ख़त्म है,
अब
नहीं उठाती मम्मी
मुन्ना-
मुन्नी न गए कक्षा में,
न
देखे कैसा स्कूल
मासब
का चेहरा न देखा,
जैसे
हो गई कोई भूल l
बच्चों
की तो हो गई मौज,
मात-पिता
हुए सब खिन
लाचारी
में मोबाइल लिए,
डाटा
वाली लिए सिम
ऑनलाइन
के नाम पर,
सिर्फ
चंद घंटे हुई पढ़ाई
बाकी
समय गेम और गाना,
कैसी
होगी भरपाई l
मोबाइल
में ऐसा ध्यान,
पढ़ाई
कम बाकि काम
फीस
का मीटर हर महीने,
नहीं
करता ये आराम
अभिभावक
सब बेबस होगये,
भर
रहे है फीस
बिन
पढ़े सब बच्चे पढ़ गए,
कैसे
हुया ये ईश l
कोई
तो रोको मीटर को,
लाचार
हुआ राम
पहले
जैसा काज चले तो,
न
अखरे ये दाम
काम
नहीं चला ठीक से,
नहीं
कोई कमाई
सब
की देनदारी है देना,
ऊपर
से महगाई l
लेखक
/ कवी
श्याम
कुमार कोलारे

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