नारी - जीवन एक अबूझ पहेली
जीवन एक अबूझ पहेली, रहस्यों से भरी हुई
इस जग की विचित्र कहानी, कुछ सुलझी- अनसुलझी
सुलझाने की कोशिश में , और उलझटी जाए ।
कोशिश कईयों ने की, समझने की इसे
अपनी हर कोशिश को, हमेशा नाकामयाब ही पाया
ना बताना दिल की बाते, अपने दिल की इच्छा
और ना ही रखना किसी से कभी कोई अपेक्षा
अपने मन को रखना है हमेशा समझा कर
क्योंकि जीवन लेता है हर घड़ी नई-नई परीक्षा
मुख से ना निकाले कोई अल्फाज
जब मन हो उदास,दिल में दफना लोहार एहसास
ना रखो किसी से कोई आज
आप रोया हंसो किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता
बल्कि लोगों के सामने हमेशा तुम्हारा तमाशा ही बनता
भीड़ में रहकर भी अकेले रहते हैं हम
होटो में है मुस्कान दिल में रहता है गम
निकले थे हम जीवन की पहेली को सुलझा ने
नासमझी कोई पहेली और उलझ गए हैं हम
रचनाकार
पुष्पा कोलारे
खजुरी कलां भोपाल
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