अंत समय तक जलता रहता, लगा देता है
जीवन दाव
मिट्टी का दिया बोला हवा से, बहुत
ताकत है तेरे अन्दर
हम दोनों गर मिल जाये, जहान बनादे
स्वर्ग सा सुन्दर।
मैं दीपक देता मंद प्रकास हूँ , हवा
देती सबको प्राण
अंधकार दूर भागे मुझसे, उजाले का
रखता हूँ ध्यान
तेल बिन बाती जले न, बिन बाती दिया देता
प्रकाश
जीवन में संग रहे सदा तो, बन जाये
बड़े-बड़े काज।
संगम हो जब साथ सभी का, जग उजयाला हो
जाएगा
संग मंथन से जग में नित्य, घन घोर अँधेरा
सो जाएगा
अंधकार हो घोर-घनेरी,कड़क काली हो अमावस
रात
टिमटिमाता दिया के सामने, खा जाती है
हरदम मात।
नन्हा सा दिखने वाला दिया,शक्ति रखता
बहुत विशाल
अपने को तुम कम न आंको,शक्ति की तुम
बनो मिशाल
हिम्मत की एक नन्ही चिंगारी, ले लेगी
है रूप विकराल
इच्छा शक्ति, दृडसंकल्प हरा सकती है संकट विशाल।
सीख देता छोटा दीपक आखरी दम तक
समर्पित रहना
खुद जलकर जीवन अपना, दूसरों के लिए
खोते रहना
मिट्टी का एक छोटा दीपक ,पाठ जीवन का
देता रहता
गर सफलता पाना है, थोड़ा ही सही टिमटिमाते
रहना।
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कवी / लेखक
श्याम कुमार कोलारे
सामाजिक कार्यकर्त्ता , छिन्दवाड़ा (म.प्र.)
मोबाइल : 9893573770
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